नई दिल्ली, केंद्रीय सूचना आयोग ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग से कहा है कि लापता फाइलों के मुद्दे से निपटने के लिए एक व्यापक योजना बनाई जानी चाहिए जो सूचना के अधिकार कानून को लागू करने में अवरोध बन गयी हैं। आयोग ने साफ किया कि लापता फाइलों को लेकर कोई बचाव नहीं किया जा सकता है और इनका इस्तेमाल सूचना देने से इनकार करने के बहाने के तौर पर नहीं किया जा सकता। आयोग ने सूचना देने में देरी को या असहज करने वाले प्रश्नों से बचने के लिए कथित तौर पर लापता फाइलों का हवाला देने पर श्रम मंत्रालय के अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भेजा है।
सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने कहा, लापता फाइलों के मामलों से निपटने के लिए भारत सरकार या संबंधित राज्यों की क्या नीति है? आरटीआई कानून की धारा 4 के तहत महत्वपूर्ण नीतियां बनाते समय या जनता को प्रभावित करने वाले फैसलों की घोषणा करते समय सभी संबंधित तथ्यों का प्रकाशन अनिवार्य है। वह बालेंद्र कुमार की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे जिन्होंने श्रम और रोजगार मंत्रालय में एक आरटीआई अर्जी दाखिल की थी जिस पर केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने कहा था कि फाइल का पता नहीं चल रहा।
आचार्युलू ने कहा, आयोग कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग से सिफारिश करता है कि लापता फाइलों के मुद्दे से निपटने के लिए एक व्यापक योजना, नीति और कार्रवाई का कार्यक्रम बनाया जाए जो आरटीआई क्रियान्वयन में अवरोध बन गयी हैं। उन्होंने कहा कि लापता फाइलें कानून के शासन और आपराधिक न्याय प्रणाली को कमजोर करने की और सार्वजनिक प्राधिकारों में कई सफेदपोश अपराधियों को बचाने की रणनीति हो सकती हैं। सूचना आयुक्त ने कहा कि केवल वही फाइल गुम हो जाती है जिसमें अनियमितताएं या भ्रष्टाचार के सबूत हो सकते हैं।