नयी दिल्ली, चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सिंतबर तिमाई में देश के विलय और अधिग्रहण सौदों में 63.4 प्रतिशत की गिरावट रही। विलय और अधिग्रहण सौदों में गिरावट का कारण “अर्थव्यवस्था में आर्थिक नरमी” को बताया गया है। सौदों पर नजर रखने वाली एक कंपनी मर्जर मार्केट ने यह बात कही।
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वैश्विक सौदों पर निगरानी करने वाली फर्म के मुताबिक, वर्ष 2017 की तीसरी तिमाही में भारतीय विलय और अधिग्रहण को मंदी का सामना करना पड़ा है। इस तिमाही में सौदा मूल्य 63.4 प्रतिशत घटकर 6.8 अरब डॉलर रह गया जबकि पिछले साल इसी तिमाही में सौदा मूल्य 15.8 अरब डॉलर रहा था। इसके अलावा, सौदों की संख्या 2009 के बाद निचले स्तर पर आ गई है।
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मर्जर मार्केट ने रपट में कहा, “जीडीपी की वृद्धि दर तीन साल के निचले स्तर 5.7 प्रतिशत रह गयी है, जिसके कारण आर्थिक नरमी आई है। आर्थिक नरमी के कारण विलय और अधिग्रहण बाजार में गिरावट देखने को मिली है।” वर्ष 2017 की पहली छमाही में 1 अरब डॉलर से अधिक के दो बड़े सौदों के कारण दूरसंचार सौदा मूल्य के लिहाज से सबसे सक्रिय क्षेत्र रहा। 2017 की तीसरी तिमाही के दौरान, प्रौद्योगिकी क्षेत्र का सौदा मूल्य चार गुना बढ़कर 2.9 अरब डॉलर हो गया है, पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 57.7 करोड़ डॉलर रहा था।
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रपट में कहा गया, प्रौद्योगिकी क्षेत्र का शीर्ष सौदा सिंतबर में सॉफ्टबैंक और फ्लिपकार्ट के बीच रहा। सॉफ्टबैंक ने 2.6 अरब डॉलर से फ्लिपकार्ट में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी, जो कि इस साल देश का दूसरा सबसे बड़ा सौदा है। जुलाई-सिंतबर तिमाही में भारत की भीतरी गतिविधियां 20.5 प्रतिशत बढ़कर 16.8 अरब डॉलर हो गया है।
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वर्ष 2017 में भारतीय विलय और अधिग्रहण गतिविधियों में धीमा रुख दिखाई दे रहा है जबकि निजी इक्विटी खरीदारी में 7.4 अरब डॉलर के कुल 66 सौदे किए गए। जो कि 2001 के बाद सबसे अधिक है। मूल्य के लिहाज से रीयल एस्टेट क्षेत्र में सबसे ज्यादा सक्रियता रही। जुलाई-सितंबर के दौरान इस क्षेत्र में 1.8 अरब डॉलर के 4 सौदे हुए। इन सौदों में जीआईसी और डीएलएफ साइबर सिटी डेवलपर्स के बीच अगस्त में हुआ 1.34 अरब डॉलर का अधिग्रहण सौदा भी शामिल है।