लखनऊ,शारदीय नवरात्र में देश का कोना-कोना भक्तिमय हो जाता है. नौ दिनों में मां दुर्गा की पूजा करने का विधान है. इस दौरान भारत के अलग-अलग कोनों में फैले हुए मां के प्रसिद्ध मंदिरों में भारी संख्या में भक्तों का जमावाड़ा लगता है. आइए जानते हैं मां दुर्गा के इस प्रसिद्ध मंदिर के बारें में जहां बच्चों की बलि दी जाती है.
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में नवरात्र पर एक ऐसी परंपरा निभाई जाती है, जिसमें मां खुद नवजात को बलि के लिए पेश करती हैं. बांसगांव इलाके के लोगों की मान्यता है कि मां दुर्गा नवरात्र में नवजात की बलि से ही प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा बनाए रखती हैं. यहां पर हर साल नवरात्रि के नवमी तिथि को पूरे इलाके के हजारों क्षत्रिय दुर्गा मंदिर में अपने शरीर का रक्त मां को चढाते है. रक्त का यह चढ़ावा 15 दिन के बच्चे से लेकर 100 साल तक के बुजुर्गों तक के शरीर के पांच जगहों से काटकर दिया जाता है. कटने पर शरीर के कई जगहों से रक्त निकलने से मासूम बच्चे रोते बिलखते हैं पर आस्था के नाम पर उनके घाव पर किसी दवा को नहीं बल्कि भभूत मल दिया जाता है.
शारदीय नवरात्र के नवमी तिथि को यहां पर पूरे इलाके के हजारां क्षत्रियों का जमावड़ा होता है और शुभ मुहुर्त के बाद हर व्यक्ति के शरीर से काट कर रक्त निकाला जाता है और मां को चढाया जाता है. हर साल हजारों लोगों के शरीर से काट कर रक्त मां के चढ़ाया जाता है. एक ही उस्तरे से सभी के शरीर को काटा जाता है, और निकले रक्त को बेलपत्र के उपर लगाकर इस मंदिर में चढ़ाया जाता है. यहां के लोग मानते हैं कि रक्त चढ़ाने से मां खुश होती हैं और उनका परिवार निरोग और खुशहाल रहता है.