नयी दिल्ली , उच्चतम न्यायालय ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले 2017-18 का आम बजट पेश नहीं किए जाने संबंधी याचिका पर तुरंत सुनवाई से आज इन्कार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर ने बजट को स्थगित किए जाने की दायर याचिका पर कहाकि हम इस पर उचित समय आने पर विचार करेंगे, किन्तु अभी नहीं।
चुनाव आयोग ने उत्तरप्रदेशए पंजाब और उत्तराखंड समेेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की घोषणा बुधवार को की है। इन चुनावों के लिए मतदान चार फरवरी से आठ मार्च के बीच कराया जायेगा। नरेन्द्र मोदी सरकार ने आम बजट एक फरवरी को पेश किए जाने की घोषणा की है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने आम बजट विधानसभा चुनावों के बाद पेश किए जाने की मांग की है। दलों का कहना है कि सरकार मतदाताओं को लुभाने के लिए बजट में लोकलुभावनी घोषणाएं कर सकती है।
अधिवक्ता एम एल शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा ष्इस मामले में सुनवाई तुरन्त करने की कोई जरूरत नहीं हैए जब यह याचिका हमारे सामने आयेगी तो हम कानून के मुताबिक विचार करेंगे।
गुरूवार को विपक्षी दलों ने बजट चुनाव बाद पेश किए जाने की अपनी मांग को लेकर चुनाव आयोग का दरवाजा भी खटखटाया था। संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से आहूत किया गया है और एक फरवरी को बजट पेश किया जाना है। विपक्ष इस संबंध में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से भी आग्रह कर चुका है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कल चुनाव आयोग से मिलने के बाद संवाददाताओं से कहा था कि प्रतिनिधिमंडल ने बजट को चुनावों के बाद पेश किए जाने का आग्रह किया है और आयोग ने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओब्रेन ने भी कहा था कि बजट विधानसभा चुनाव के बाद पेश किया जाये।
उधर केन्द्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ;भाजपाद्ध ने बजट पेश करने को लेकर विपक्ष की आपत्तियों पर कहा कि यह कोई मुद्दा नहीं है। भाजपा का कहना है कि विपक्ष सरकार के संवैधानिक कर्तव्यों को लेकर राजनीति कर रहा है। पार्टी का कहना है कि बजट पेश करना सरकार का संवैधानिक दायित्व है और यह किसी एक राज्य से जुड़ा हुआ नहीं है। बजट पेश करने का निर्णय कोई अचानक नहीं लिया गया है। सभी पक्षों को सूचित करने के बाद यह निर्णय लिया गया है।