पर्यावरणीय स्वच्छता प्रमाणपत्र लेने की अनिवार्यता का कानून ईंट भट्ठों पर जबरदस्ती लागू करने के कारण उत्तर प्रदेश के 18000 ईंट भट्ठे इस सीजन से बन्द रहने को विवश हैं। जिससे जहाँ एक ओर भट्ठा चलाने वाले लगभग 50 हजार व्यापारी अपनी अल्प पूँजी और रोजगार के प्रति चिन्तित हैं, वहीं दूसरी ओर इस उद्योग में रोजगार पाने वाले लगभग 55-60 लाख भूमिहीन गरीब मजदूरों की रोजी रोटी भी छिन गयी है। यह जानकारी, ईंट भट्ठों की संस्था उत्तर प्रदेश ईंट निर्माता समिति के अध्यक्ष विजय गोयल व महामंत्री प्रमोद चैधरी ने लखनऊ में आयोजित प्रेस कांफ्रेन्स में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए दी।
प्रमोद चैधरी ने बताया कि साल 2012 में ईंट भट्ठों को पूर्व पर्यावरणीय स्वच्छता प्रमाणपत्र लेने की अनिवार्यता बताई गयी, जिसके अत्यन्त जटिल व अव्यवहारिक होने के सम्बन्ध में प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेष यादव को अवगत कराये जाने पर प्रदेश सरकार ने माइन्स मिनरल कन्सेशल रूल्स में संशोधन करके 2 मीटर गहराई तक ईंट मिट्टी निकालने की प्रक्रिया को खनन संक्रिया न मानते हुए प्रमाणपत्र लेने की अनिवार्यता से ईंट भट्ठों को मुक्त कर दिया और तब से भट्ठों का निर्बाध संचालन हो रहा है। प्रमोद चैधरी ने आगे कहा कि निर्माण की मूल आवश्यकता को पूरा करने वाले सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक फैले इस प्राचीनतम् कुटीर उद्योग पर सीमेण्ट उद्योग लाॅबी और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की निगाह काफी समय से है। चैधरी ने आरोप लगाते हुए कहा कि केन्द्र सरकार के ‘‘मेक इन इण्डिया’’ के खोखले नारे से ऐसे तत्वों को अवसर मिला और उन्होंनें ‘‘रीयल इण्डिया’’ के निर्माण और विकास की जड़ को समाप्त करने की साजिश के तहत् पर्यावरणीय क्लीयरेंस दिलाने वाले तथाकथित ‘‘कन्सल्टेण्ट ग्रुप’’ को प्रोत्साहित करके विभिन्न न्यायालयों में जनहित याचिकाओं के माध्यम से दबाव बनाया और परिणामस्वरूप भट्ठे बन्द हैं।
समिति के अध्यक्ष विजय गोयल ने कहा कि समिति के नेत्त्व में विगत लगभग चार माह से संघड्र्ढरत् प्रदेश के भट्ठा स्वामी केन्द्र सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि प्रदूड्ढण रहित तकनीक के ईंट भट्ठों में ईंट निर्माण की कार्यशैली को देखते हुए नियमों में संशोधन कर भट्ठों से इसकी अनिवार्यता को समाप्त कर दिया जाय, परन्तु ईंट भट्ठों का सीजन प्रारम्भ हो गया है और सरकार उदासीन है। गोयल ने आगे स्पष्ट किया कि निर्माण क्षेत्र में सीमेण्ट व फ्लाई-ऐश ब्रिक्स की अधिकाधिक खपत के लिए सोची समझी रणनीति है। परन्तु सरकार को जाँच कराकर यह अवश्य पुष्टि करनी चाहिए कि सीमेण्ट व फ्लाई-ऐश ब्रिक्स आधारित निर्माण की गुणवत्ता व उम्र कितनी है? विशेपज्ञ बताते हैं कि सीमेण्ट आधारित निर्माण की अवधि मात्र 15-20 साल है, जबकि ईंटों से हुए निर्माण की अवधि का प्रमाण ढूंढ़ने या जाँचने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंनें कहा कि प्रदेश में गरीब व मध्यम वर्ग के लिए निर्माण का मूल आधार केवल ईंट है, अन्य कोई विकल्प नहीं है।
प्रेस से मुखातिब महामंत्री प्रमोददचैधरी ने आगे कहा कि प्रदेश के ईंट भट्ठों से सरकार को विभिन्न स्रोतों से लगभग 1000 करोड़ राजस्व प्राप्त होता है, वहीं लगभग 50 हजार ईंट भट्ठा मालिक परिवारी जन छोटी पूँजी से रोजगार करते हुए इसमें लगभग 55-60 लाख उन गरीब भूमिहीन वर्ग के श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराते हैं, जो अपनी खेती आदि से बचे समय में खाली हो जाते हैं। ऐसा अन्य कोई उद्योग नहीं है, जो इतने बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर प्रदान करता हो तथा ग्रामीण क्षेत्र के श्रमिकों का शहर की ओर पलायन रोकने में सहायक हो। उन्होंनें बताया कि इस उद्योग में सबसे ज्यादा बुन्देलखण्ड और ऐसे ही देश के अन्य भू-भाग के श्रमिकों को रोजगार मिलता है जहाँ का जनजीवन सूखा आदि विपरीत परिस्थितियों के कारण सबसे अधिक प्रभावित होता है और वे प्रदेश के भट्ठों में रोजगार पाने की उम्मीद लगाये बैठे रहते हैं, क्योंकि उन्हें यहाँ के भट्ठों में काम के लिए आधारभूत आवश्यकताओं हेतु अग्रिम धनराशि भी मिल जाती है। ऐसी स्थिति में केन्द्र सरकार को उनके बारे में भी सोचना चाहिए । क्योंकि सब जानते हैं कि ‘‘मेक इन इण्डिया’’ रीयल इण्डिया को अनदेखा करके सम्भव नहीं है।
उन्होंनें बताया कि आगामी 05 नवम्बर, 2015 को लखनऊ में एक महासम्मेलन आयोजित है, जिसमें माननीय मुख्यमंत्री जी को आमंत्रित किया गया है। महासम्मेलन में प्रदेश के कोने-कोने से ईंट भट्ठा व्यापारी सम्मिलित हो रहे हैं, जहाँ माननीय मुख्यमंत्री जी तक उद्योग की पुकार पहुंचाते हुए अनुरोध किया जायेगा कि केन्द्र सरकार द्वारा जिस प्रकार गुजरात के टाइल्स उद्योग को पर्यावरणीय क्लीयरेंस की बाध्यता से बाहर किया गया है, उसी प्रकार ईंट निर्माण को भी एम0ओ0ई0एफ0 के इस अव्यवहारिक प्राविधान से बाहर करके भट्ठों के संचालन के लिए कोई रास्ता निकलवायें। क्योंकि देश के कई प्रान्तों में भट्ठे चल रहे हैं। मात्र उ0प्र0 के भट्ठे पूरी तरह बन्द हैं। भट्ठों के न चल पाने से जहाँ एक ओर सरकार को करोड़ों रूपये के राजस्व की हानि होगी, वहीं दूसरी ओर लाखों श्रमिकों के लिए उत्पन्न बेरोजगारी तथा उससे पैदा होने वाली अराजकता व अपराध के लिए केन्द्र सरकार उत्तरदायी होगी, क्योंकि गरीब के मुंह का निवाला छिनने पर अप्रिय वातावरण उत्पन्न होना स्वाभाविक है।
प्रेस वार्ता में समिति के उपाध्यक्षगण हरीराम गुप्ता,बाराबंकी, मुकेश अग्रवाल हरदोई, जे0पी0 नागपाल लखनऊ कोपाध्यक्ष गोपी श्रीवास्तव, लखनऊ अध्यक्ष चरनजीत तलवार, लखनऊ महामंत्री मुकेश मोदी, नरेन्द्र सिहं अध्यक्ष लखीमपुर, रायबरेली अध्यक्ष महेन्द्र सिहं त्यागी, महामंत्री विजय तलरेजा रायबरेली तथा हाजी कमालुद्दीन सीतापुर आदि उपस्थित थे।