नई दिल्ली, उर्जित आर पटेल ने रिजर्व बैंक के गर्वनर पद का कार्यभार संभाल लिया है। र्वनर की कमान संभालने वाले उर्जित पटेल के सामने कई चुनौतियां होंगी जिसमें से सबसे बड़ी चुनौती मुद्रास्फीति की दर को काबू करना होगा। साथ ही इंडस्ट्री को सहारा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती करने का दबाव उनके ऊपर होना लाजमी होगा। उर्जित पटेल भारतीय रिजर्व बैंक के 24वें गवर्नर हैं। रघुराम राजन के स्थान पर चुने गए पटेल फिलहाल रिजर्व बैंक में डिप्टी गवर्नर के पद पर कार्य कर रहे थे।
पटेल को मौद्रिक नीति का विशेषज्ञ माना जाता है और डिप्टी गवर्नर के तौर पर अभी वह इसी विभाग का जिम्मा संभाले हुए हैं। पटेल की नियुक्ति तीन साल के लिए हुई है। एस. वेंकटरमण के बाद राजन अकेले गवर्नर थे जिनका कार्यकाल तीन साल तक ही सीमित रहा। यह पहला मौका है जब रिजर्व बैंक के गवर्नर का चयन कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली एक कमेटी की सिफारिश पर हुआ है। कमेटी की सिफारिशों के ही आधार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति संबंधी समिति (एसीसी) ने पटेल के नाम पर मुहर लगाई थी। एसीसी की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं और इसके एकमात्र सदस्य गृहमंत्री होते हैं।
अक्टूबर में 53 वर्ष की आयु पूरी कर रहे पटेल ने अपनी पढ़ाई लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स, ऑक्सफोर्ड और येल यूनिवर्सिटी से की है। येल से उन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी और ऑक्सफोर्ड से एमफिल की डिग्री ली। देश में पहली बार महंगाई दर का लक्ष्य तय करने का फैसला भी पटेल की अगुवाई वाली कमेटी की सिफारिशों के आधार पर हुआ था। इसी के आधार पर तय हुआ कि अगले पांच साल के लिए खुदरा महंगाई दर का लक्ष्य चार फीसद रहेगा जो ज्यादा से ज्यादा छह फीसद तक जा सकती है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने की जिम्मेदारी गवर्नर और इस कमेटी की होगी जो संसद के प्रति जवाबदेह होगी। पहले ब्याज दरें तय करने का पैमाना थोक महंगाई दर को माना जाता था। लेकिन खुदरा महंगाई दर को इसका पैमाना बनाने की सिफारिश करने का श्रेय भी पटेल की अध्यक्षता वाली इस कमेटी को ही जाता है।