रियो डी जेनेरो, भारत के अनिर्बाण लाहिड़ी और एसएसपी चौरसिया रियो ओलंपिक खेलों में 112 सालों के लंबे अर्से बाद वापसी कर रहे गोल्फ में गुरूवार से अपने अभियान की शुरूआत करने उतरेंगे। अभी तक भारत रियो में पदकों के सूखे से जूझ रहा है।
पुरूष वर्ग में लाहिड़ी और चौरसिया 11 से 14 अगस्त तक चलने वाली गोल्फ की स्पर्धाओं में अपनी चुनौती पेश करने उतरेंगे जहां दुनिया के कई दिग्गज और नामी खिलाड़यिों की अनुपस्थिति में उनके पास इतिहास रचने का मौका रहेगा। सबसे बड़ी बात यह है कि गोल्फ ओलंपिक खेलों में एक सदी के बाद वापसी कर रहा है। लाहिड़ी को अंतरराष्ट्रीय गोल्फ फेडरेशन की ताजा रैंकिग में 20वां तथा चौरसिया को 45वां स्थान मिला था जिसकी बदौलत उन्होंने रियो के लिये क्वालीफाई किया है।
ओलंपिक खेलों में आईजीएफ रैंकिग में शीर्ष 60 में शामिल भारतीय गोल्फरों की रैंकिग काफी अच्छी है। वहीं लाहिड़ी और चौरसिया दोनों ही भारत के शीर्ष और अनुभवी गोल्फर हैं जो बड़े टूर्नामेंटों में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। लेकिन इन सबके बावजूद भारतीय गोल्फरों के लिये जो 31वें ओलंपिक खेलों में सबसे बड़ा फायदे का सौदा साबित हो सकता है वह है दुनिया के शीर्ष गोल्फरों की इन खेलों में गैरमौजूदगी।
यह सच है कि एडम स्काट और जेसन डे जैसे नामी चेहरों ने रियो ओलंपिक खेलों से विभिन्न कारणों से नाम वापिस लेकर गोल्फ की स्पर्धा को बिल्कुल फीका कर दिया है लेकिन ऐसे में भारतीय गोल्फरों के पास पहली बार इन ओलंपिक खेलों में कम प्रतिस्पर्धा और कम दबाव से बेहतर परिणाम निकालकर इतिहास रचने का मौका भी है।