देश के प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू ने आज कहा कि हमारे समाज के कई तबके अब भी कमजोर हैं और विभिन्न तरह से उनका उत्पीड़न हो रहा है। यह आवश्यक है कि इन कमजोर तबकों को समान और प्रभावी न्याय मुहैया कराया जाए। उन्होंने कहा कि कानूनी प्रणाली को लोकतांत्रिक बनाया जाए जिससे हमारे देश के हर नागरिक को समान न्याय हासिल हो सके, समान तेजी, समान प्रभाविता और समान निष्पक्षता। विधिक सेवा दिवस के अवसर पर आज प्रधान न्यायाधीश ने अपने लिखित संदेश में कहा कि एक ठोस और प्रभावी कानूनी प्रणाली जो निर्भय होकर कानून का शासन चलाए, यह लोकतंत्र के मूल स्तंभों में एक है। हर नागरिक को बराबर न्याय मिलने के लिए एक ठोस, प्रभावी और लोकतांत्रिक कानूनी प्रणाली की जरूरत है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक न्यायमूर्ति दत्तू ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से पुरानी बाधाओं को तोड़ने के लिए काफी प्रयास हुए हैं लेकिन अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है क्योंकि समाज के कई तबके अब भी कमजोर हैं। उन्होंने कहा कि हमारा समाज काफी विविधता और जटिलता से भरा हुआ है।
प्रधान न्यायाधीश ने संविधान में समानता के आधार पर न्याय के अनुच्छेदों का हवाला देते हुए नालसा द्वारा शुरू की गई सात योजनाओं को सूचीबद्ध किया और कहा कि प्राधिकार कमजोर तबके के लोगों को समान और प्रभावी न्याय मुहैया कराने के लिए पिछले कुछ समय से काम कर रहा है। उन्होंने कहा, संवैधानिक उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए नालसा कुछ समय से समाज के कमजोर तबके को समान और प्रभावी न्याय देने के लिए काम कर रहा है।
न्यायमूर्ति दत्तू ने कहा कि इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए और घोषित अधिकारों और इसके लाभार्थियों के बीच खाई को वकीलों के पैनल और अर्ध न्यायिक स्वयंसेवकों के राष्ट्रव्यापी नेटवर्क के माध्यम से पाटने के लिए नालसा सात योजनाओं की शुरूआत कर रहा है। उन्होंने कहा कि मानव तस्करी और व्यावसायिक यौन उत्पीड़न पीडि़त योजना 2015, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए कानूनी सेवा योजना 2015, बाल हितैषी कानूनी सेवाएं, मानसिक रूप से बीमार लोगों के लिए कानूनी सेवाएं, गरीबी उन्मूलन को प्रभावी रूप से लागू करने की योजना 2015, आदिवासी अधिकारों के संरक्षण और प्रभावित योजना 2015, मादक पदार्थ से पीडि़तों के लिए कानूनी सेवाएं इसमें शामिल हैं।