नई दिल्ली, भारत में तीन साल से छह साल की उम्र के कुल 7.4 करोड़ बच्चों में से करीब दो करोड़ बच्चे औपचारिक पढ़ाई शुरू करने से पहले प्री स्कूल नहीं जा पाते और इनमें से ज्यादातर बच्चे निर्धन एवं समाज के कमजोर वर्गों के हैं। यूनिसेफ की आज जारी स्टेट ऑफ द वर्ल्ड चिल्ड्रेन रिपोर्ट 2016 में कहा गया है कि मुस्लिम परिवारों के करीब 34 फीसदी, हिंदू परिवारों के 25.9 फीसदी और ईसाई परिवारों के 25.6 फीसदी बच्चों ने स्कूल में दी जाने वाली औपचारिक शिक्षा शुरू होने से पहले प्री स्कूल में दी जाने वाली प्रारंभिक शिक्षा हासिल नहीं की।
भारत में यूनिसेफ के प्रतिनिधि लुई जॉर्जेस आर्सेनॉल्ट ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, स्कूल शुरू होने से पहले प्री स्कूल की औपचारिक शिक्षा से वंचित रहने का बच्चे की सीखने की क्षमता पर दूरगामी असर पड़ता है। जब बच्चे स्कूल शुरू होने से पहले की औपचारिक शिक्षा के बिना ही प्राथमिक स्कूल में जाते हैं तो उनके बीच में ही पढ़ाई छोड़ने की आशंका होती है और वह अपनी क्षमता के अनुरूप नहीं बन पाते। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा वर्ष 2014 में किए गए नेशनल सर्वे फॉर एस्टिमेशन ऑफ आउट ऑफ स्कूल चिल्ड्रेन के अनुसार, 60 फीसदी से अधिक बच्चों ने तीसरी कक्षा पूरी करने से पहले ही पढ़ाई छोड़ दी।
अध्ययन में यह भी पता चला है कि सूचना का अधिकार कानून के लागू होने के बाद से बच्चों के बीच में ही पढ़ाई छोड़ने की दर में कमी आई है। वर्ष 2009 में बीच में ही पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों की संख्या 80 लाख थी जो 2014 में 60 लाख रह गई। रिपोर्ट के अनुसार, प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने से पहले पढ़ाई छोड़ने वाले 36 फीसदी बच्चों में से करीब आधे बच्चे निर्धन एवं समाज के कमजोर वर्गों से हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अभाव का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि नेशनल अचीवमेंट सर्वे (2014) के अनुसार, पांचवी कक्षा के आधे से भी कम बच्चे पढ़ कर समझने के बाद सही जवाब दे पाते हैं और गणित के सवाल हल कर पाते हैं। आर्सेनॉल्ट ने उम्मीद जताई कि नयी शिक्षा नीति इन खामियों को दूर करेगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव एस सी खूंटिया ने कहा, हम नयी शिक्षा नीति बना रहे हैं और इन मुद्दों पर गौर करने के लिए हमने मंत्रालय में एक समिति भी बनाई है।