बेंगलुरू, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को ऑनलाइन सट्टेबाजी को प्रतिबंधित और अपराधीकरण करने वाले कानून के आपत्तिजनक प्रावधानों को रद्द कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया है पूरे कर्नाटक पुलिस (संशोधन) अधिनियम, 2021 को रद्द नहीं किया गया है।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सट्टेबाजी के खिलाफ संविधान के अनुरूप एक नया कानून लाने वाली विधायिका के फैसले पर यह निर्णय लागू नहीं होगा। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति कृष्ण एस दिक्षित की पीठ ने सुनाया है।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि कौशल के खेल को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता।याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14, 19 (1) (जी), 21 और 301 का उल्लंघन करता था।
दलीलों का विरोध करते हुए महाधिवक्ता प्रभुलिंग के नवादगी ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया, इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई का सवाल ही नहीं उठता। नवादगी ने यह भी तर्क दिया कि ऑनलाइन सट्टेबाजी मुख्य रूप से अवसर का खेल है और इसलिए इसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।उन्होंने सुनवाई के दौरान पूछा, “आप खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर पैसा लगा रहे हैं, जिसमें आपकी कोई भूमिका या नियंत्रण नहीं है। एक बार जब आप इसमें पैसा लगा देते हैं, तो यह कौशल का खेल कैसे है?”
वरिष्ठ अधिवक्ता साजन पूवैया प्ले गेम्स 247, हेड डिजिटल और जंगली गेम्स की ओर पेश हुए।कीस्टोन पार्टनर्स मैनेजिंग पार्टनर प्रदीप नायक ने ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के प्रमुख याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व किया।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने पांच अक्टूबर 2021 को अधिनियम बनाया था, जिसमें दांव लगाने या सट्टेबाजी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसमें टोकन जारी करने से पहले या बाद में भुगतान किए गए पैसे शामिल हैं।सरकार ने किसी भी खेल के संबंध में वर्चुअल करेंसी और धन के इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण पर भी प्रतिबंध लगा दिया था।