नई दिल्ली, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आय खुलासा योजना के तहत कालेधन की घोषणा करने वाले उन लोगों को किसी प्रकार की राहत देने से इनकार किया है जिन्होंने व्यक्तिगत समस्याओं या नकदी की कमी के कारण कर और जुर्माने की पहली किस्त निर्धारित समयसीमा में जमा नहीं की है।
बोर्ड ने यह साफ किया है कि 30 नवंबर 2016 की समयसीमा तक भुगतान नहीं करने को लेकर माफी देना आय खुलासा योजना (आईडीएस) के तहत घोषणा करने वाले उन लोगों के साथ भेदभाव होगा जिन्होंने समयसीमा का पालन किया तथा घोषित आय के आधार पर कर, अधिभार और जुर्माने का भुगतान किया। आय खुलासा करने वाले कुछ लोगों द्वारा अंतिम तारीख में कुछ छूट दिये जाने के अनुरोध के बाद सीबीडीटी ने मंगलवार को एक आदेश जारी कर चीजें स्पष्ट कीं। ये वे लोग थे जिन्होंने पहली किस्त के तहत कर का भुगतान (पूरा या आंशिक) पिछले साल 30 नवंबर के बाद किया या भुगतान ही नहीं किया।
बोर्ड ने कहा कि जब अधिकतर घोषणाकर्ताओं ने निर्धारित समय-सीमा का पालन किया, ऐसे में आईडीएस के तहत कुछ के भुगतान में देरी के लिये माफी या उसे सुगम बनाने के लिये समयसीमा बढ़ाने के अनुरोध को मानने का मतलब होगा कि केवल कुछ लोगों के साथ नरम रूख दिखाना। सीबीडीटी ने आदेश में कहा, आईडीएस के तहत देरी से भुगतान पर ब्याज का कोई प्रावधान नहीं है और इसीलिए चूककर्ताओं को माफी देना उन घोषणाकर्ताओं के साथ भेदभाव होगा जिन्होंने निर्धारित समयसीमा का पालन किया। आदेश के मुताबिक आईडीएस घोषणा करने वालों को भुगतान की समयसीमा के बारे में पूरी जानकारी थी और उसका उन्हें पालन करना था। साथ ही सरकार ने मीडिया और अन्य जागरूकता कार्यक्रम के जरिये आईडीएस योजना का अच्छा-खासा प्रचार-प्रसार किया। लोगों को आईडीएस के तहत कालाधन की घोषणा करने और पाक-साफ होने का विकल्प दिया गया।
सीबीडीटी के अनुसार इसीलिए निजी समस्याओं, नकदी की कमी, अंतिम तारीख के बारे में भ्रम, बैंकों में भीड़ और अन्य कारणों के आधार पर घोषणाकर्ताओं द्वारा कर का भुगतान नहीं करने को उचित नहीं ठहराया जा सकता। हालांकि आदेश में कहा गया है कि कुछ मामलों में देखा गया है कि घोषणाकर्ताओं ने अंतिम तारीख तक पूरा भुगतान किया और बैंकों ने उसकी पुष्टि की लेकिन बाद में बैंक ने सूचना दी कि धन का अंतरण समय पर नहीं हो पाया एवं पैसा घोषणाकर्ता के खाते में या सरकार के खाते में पांच दिसंबर 2016 के बाद गया। ऐसे मामलों में मामला-दर-मामला आधार पर भुगतान में देरी को लेकर माफी दी जाएगी। सीबीडीटी के अनुसार वैसे मामलों में जहां सरकारी खजाने में पैसा बैंक संबंधी मुद्दों के कारण नहीं जा सकता, वहां घोषणाकर्ताओं की कोई गलती नहीं मानी जा सकती। इस वर्ष की शुरूआत में सीबीडीटी ने यह साफ किया था कि 30 नवंबर तक किया गया पहली किस्त का भुगतान तभी वैध होगा जब राशि पांच दिसंबर 2016 तक सरकार के खाते में आ जाएगी। आईडीएस 2016 योजना के तहत घोषणाकर्ताओं को कुल कर, अधिभार और जुर्माने की राशि का 25 प्रतिशत 30 नवंबर 2016 तक देना था। उतनी ही राशि की दूसरी किस्त का भुगतान इस साल मार्च और शेष 30 सितंबर 2017 तक किया जाना है। सरकार पिछले साल आय खुलासा योजना लायी जो एक जून से 30 सितंबर 2016 तक चली। इसका मकसद देश में कालाधन रखने वालों को 45 प्रतिशत कर और जुर्माना देकर पाक साफ होने का एक मौका देना था। इस योजना के तहत 71,726 घोषणाकर्ताओं ने 67,382 करोड़ रुपये की आय का खुलासा किया।