मथुरा, उत्तर प्रदेश में तीन सप्ताह पहले बनी योगी सरकार के गठन के बाद उठ रहे नित नए सवालों के जवाब देते हुए उप मुख्यमंत्री प्रो. दिनेश शर्मा ने सरकार की ओर से सभी को आश्वस्त करने का प्रयास करते हुए कहा कि किसी भी धर्म अथवा जाति के व्यक्ति को डरने की जरूरत नहीं है।
सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने स्पष्ट किया, मुख्यमंत्री ने संकल्प लिया है कि किसी के भी साथ भेदभाव नहीं होगा। प्रदेश में सबके लिए समान कानून और समान दण्ड की प्रक्रिया लागू है। किसी के भी प्रति दुराग्रह का भाव नहीं है। मुस्लिम समाज प्रदेश की मुख्य धारा का एक मजबूत अंग है। हम इसे किसी भी प्रकार अलग नहीं कर सकते। उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा पदभार संभालने के पश्चात सोमवार को पहली बार वृन्दावन में ठा. बांके बिहारी के दर्शन करने के लिए यहां पधारे थे।
उन्होंने पं. मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित हासानंद गोचर भूमि गौशाला में गौपूजन किया, वृन्दावन के आश्रम में बालयोगी से भेंट की व एक अघोरी मंदिर में दर्शन भी किए। समाजवादी सरकार में नगर विकास एवं अन्य कई विभागों के मंत्री रहे मोहम्मद आजम खां द्वारा गोवर्धन के स्वामी अधोक्षजानन्द द्वारा दी गई गाय व बछिया यह कहकर वापस कर देने के सवाल पर कि गाय पालना मेरे बस की बात नहीं, वह गाय की सेवा करना चाहते हुए भी इन दोनों को इसलिए वापस भेज रहे हैं क्योंकि देश व प्रदेश में इन दिनों माहौल खराब है और राजस्थान की घटना के बाद अब यदि उनमें (गाय व बछिया में) से किसी को कुछ हो गया तो वे उल्टे संकट में पड़ जाएंगे।
शर्मा ने कहा, मैं किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणी तो नहीं करना चाहता। लेकिन मुझे लगता है कि यह केवल चर्चा की बात रही होगी। सरकार सबके हित की बात कर रही है। किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है। गौरतलब है कि आजम खां ने उक्त गाय व बछिया एक दिन पूर्व ही रामपुर से वापस भेजी थी जो सोमवार को यहां स्वामी अधोक्षजानन्द के गोवर्धन के निकट जतीपुरा में स्थित आश्रम में वापस पहुंची हैं। उन्होंने स्वामी को एक पत्र भी भेजा है जिसमें भेंट की गाएं वापस भेजे जाने के कारणों का उल्लेख किया गया है। दूसरी ओर, गायों की वापसी पर स्वामी अधोक्षजानन्द ने टिप्पणी करते हुए कहा, यदि आजम खां की बात को माना जाए तो यह बेहद गंभीर मसला है। इस पर केंद्र व राज्य सरकार को ध्यान देना चाहिए। वहीं शर्मा ने कहा, भाजपा का उद्देश्य प्रदेश में बरसों से चल रहीं अवैध वधशालाओं को बंद करना है। वैध वधशालाओं के बारे में तो सोचा भी नहीं। जो भी वधशालाएं उच्चतम न्यायालय द्वारा समय-समय पर जारी किए गए दिशा-निर्देशों का अनुपालन कर रही हैं उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है।