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केंद्र सरकार ने कश्मीरी अलगाववादियों के साथ वार्ता से किया इंकार

श्रीनगर/नई दिल्ली, केंद्र ने जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों के साथ निकट भविष्य में किसी तरह की वार्ता करने से इंकार कर दिया और कहा कि उसकी प्राथमिकता पहले घाटी में स्थिति में सुधार लाना है। रक्षा और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने  यहां संवाददाताओं से कहा, हमारी प्राथमिकता पहले स्थिति को सुधारना है। उनसे पूछा गया था कि भाजपा के गठबंधन सहयोगी पीडीपी द्वारा हुर्रियत कांफ्रेंस जैसे अलगाववादी समूहों के साथ वार्ता करने की लगातार मांग को देखते हुए क्या केंद्र की उनसे वार्ता करने की कोई योजना है।

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वस्तु एवं सेवा कर  की बैठक में हिस्सा लेने आए जेटली से एक संवाददाता ने पूछा कि क्या सुरक्षा की खराब होती स्थिति को देखते हुए महबूबा मुफ्ती को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने की संभावना है। वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री ने कहा, मैंने ऐसी कोई बात नहीं सुनी है। इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है। जेटली ने रक्षा मंत्री के रूप में कश्मीर में बुधवार को सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की।

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उन्होंने कहा कि कुछ मीडिया संगठन जितनी खराब स्थिति बता रहे हैं उतनी स्थिति खराब नहीं है। उन्होंने कहा कि घाटी में स्थिति सुधर रही है। उन्होंने कहा, मैं केवल इतना कह सकता हूं कि सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ बुधवार रात मेरी लंबी बैठक हुई। मनोनीत रक्षा सचिव भी मेरे साथ थे।

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उन्होंने कहा, सेना का मुख्य काम नियंत्रण रेखा की निगरानी करना है और अगर जरूरत पड़ती है तो संघर्ष के दौरान भी सेना होती है। दोनों क्षेत्रों में सेना स्थिति से निपटने में पूरी तरह सक्षम है। विस्तृत ब्यौरा देने से इंकार करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, सेना की रणनीति पर सार्वजनिक रूप से चर्चा नहीं की जाती है।

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हमें सेना की क्षमता पर पूरा भरोसा है। और अगर प्रभावी कदम उठाने की जरूरत पड़ी तो नियंत्रण रेखा और राज्य के अंदर स्थिति सामान्य करने के कदम उठाए जाएंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, यह स्पष्ट है कि विदेशी आतंकवादियों की कुछ श्रेणियां हैं। जेटली से जब पूछा गया कि जीएसटी परिषद् की यहां बैठक कर किस तरह का संदेश देना चाहते हैं तो उन्होंने सीधा जवाब नहीं देते हुए कहा कि घाटी में स्थिति सुधरी है।

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