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कैथराइजेशन से महिलाओं को मिलेगी नई जिंदगी

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कहते है मां बनना औरत का दूसरा जन्म माना जाता है। लेकिन यह जन्म मिल पाना हर किसी के लिए आसान नहीं था। आजकल महिलाओं में बांझपन की समस्या आम बात है। नियमित रूप से असुरक्षित सम्पर्क होने के बाद भी महिला का गर्भवती न होना बांझपन की समस्या को दर्शाता है। बांझपन यानि किसी महिला द्वारा गर्भ धारण न कर पाना। अगर कोई कपल एक साल तक बिना किसी गर्भनिरोधक के संबंध बनाता है और उसके बावजूद भी महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है तो उसे बांझपन कहा जाता है और यह बांझपना फैलोपियन ट्यूब्स के बंद होने के कारण होता है। एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 30-40 प्रतिशत तक जोड़े इस समस्या से जूझ रहें हैं। अब हमारे समाने सवाल यह उठाता है कि आखिर फैलोपियन ट्यूब क्या है?

क्या होता है फैलोपियन ट्यूब:- फैलोपियन ट्यूब वह होती है जो कि औरतों के ओवरी से अंडों को गर्भाशय तक पहुंचाती है। अगर फैलोपियन ट्यूब में स्मर्श और अंडों का मिलन होता है तो अंडा फर्टिलाइज होता है, फिर वही अंडा गर्भाशय तक पहुंचता है और औरत गर्भवती हो जाती है। लेकिन अगर फैलोपियन ट्यूब में कोई अवरोध हो या वह बंद हो तो ऐसा नहीं हो पाता है। लेकिन इस समस्या का समाधान अब कैथराइजेशन के जरिए हो सकता है। यह प्रक्रिया शल्य रहित होती है और इससे बंद फैलोपियन ट्यूब को खोला जाता है इससे औरत के गर्भवती होनी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

जैसे ट्यूब में सक्रमण होना, टी.बी. का रोग, बार-बार गर्भपात होना, गर्भधारण को रोकने के लिए कई विकल्पों का इस्तेमाल करना आदि। साथ ही इसके निम्न कारण यह भी है, जैसे-उम्र, खानपान, लाइफस्टाइल, स्ट्रेस, मेडीकल कंडीशन या व्यावसायिक जोखिम। ये सभी कारण आपके स्वास्थ्य के साथ-साथ प्रजनन क्षमता पर भी असर डालते है।

कैथराइजेशन प्रक्रिया के फायदे… यह प्रक्रिया चीरा व टाका लगाए बगैर की जाती है। इसमें दर्द नहीं होता। पीड़ित महिला प्रक्रिया कराके शीघ्र ही घर लौट सकती है। वह अपनी नियमित दिनचर्या पर जल्द ही वापस लौट आती है। जिन महिलाओं की दोनों ओर की ट्यूब अवरुद्ध होती हैं, उन्हें भी एक ही सिटिंग में खोला जा सकता है। इसमें पीड़ित महिला को बेहोश करने की भी जरूरत नहीं होती है और इसमें खर्च भी कम लगता है।

उपचार:- वस्तुतः शल्य रहित प्रक्रिया की जानकारी के अभाव में मरीज शल्य प्रक्रिया कराने के लिए तैयार हो जाते हैं जिसके फलस्वरूप मरीज को लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है। उसके शरीर पर भद्दे दाग पड़ जाते हैं और इससे संक्रमण होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं व टांके आदि भी लगाने पड़ते हैं। लेकिन अब यह शल्य रहित कैथराइजेशन प्रक्रिया किसी प्रशिक्षित इंटरनेशनल रेडियोलोजिस्ट द्वारा ही कराई जा सकती है। जिससे बांझपन का इलाज संभव है लेकिन इसके लिए रेगुलर डॉक्टर चेकअप और ट्रीटमेंट की भी जरूरत होती है।

बचाव:- उपचार के साथ बचाव करना समझदारी की निशानी माना गया है। निम्न प्रभावशाली उपाय जो महिलाओं में उत्पन्न इस परेशानी में मददगार साबित हो सकते है..

इस समस्या में डाईट सबसे महत्वपूर्ण रोल निभाता है। महिलाओं को फास्ट फूड और जंक फूड से दूर रहना चाहिए। कई खाद्य पदार्थो में एडीक्टिव्स और प्रीजरवेटिव्स होते है जो प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक असर डालते है, ऐसे फूड को खाना बंद कर दें। सब्जियां और फल भरपूर मात्रा में खाएं।

इस तरह की समस्या को अधिक समय तक नजरांदाज ना करें तुंरत ही डॉक्टर से सम्पर्क करें। डॉक्टर द्वारा बताए सभी टेस्ट करवा लें, नियमित समय पर दवाएं लें।

महिलाओं का शारीरिक रूप से फिट होना, बांझपन की समस्या को अपने आप दूर कर देता है। डायबटीज, थॉयराइड या हारमोन्स संबंधी समस्या होने पर प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ता है। अगर किसी महिला को इस प्रकार की कोई समस्या हों, तो उसका शीघ्र इलाज करें।

धूम्रपान न करें, शराब का सेवन कतई न करें, किसी भी प्रकार का मादक पदार्थ न लें।

इसका एक मुख्य कारण, वजन का अधिक होना भी होता है। अगर महिला का वजन उनकी आयु के हिसाब से सही होता है तो उन्हें गर्भधारण करने में कोई समस्या नहीं होगी।

योगा और एक्सरसाइज से महिलाओं में बांझपन की समस्या रोकने में मदद मिलती है। इससे न सिर्फ शरीर स्वस्थ रहता है बल्कि महिलाएं मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहती है। योगा करने से तनाव में राहत मिलती है और चिंता भी दूर भागती है। वहीं एक्सरसाइज करने से वजन संतुलित रहता है।

प्रजजन क्षमता बनाएं रखने में हेल्दी लाइफस्टाइल सबसे ज्यादा जरूरी होता है। इसका स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ता है।

कब और कैसे:- शल्य रहित प्रक्रिया से फैलोपियन ट्यूब खोलना अब पश्चिमी देशों की तरह भारत में भी बहुत लोकप्रिय होता जा रहा है। हिस्टरोसैल्विंगोग्राफी ‘एचएसजी’ से गर्भाशय व फैलोपियन ट्यूब के अंदर की खामियों का आसानी से पता लगाया जा सकता है। इससे ट्यूब व गर्भाशय में सटीक अवरोध की सही जगह का चित्रण मिलता है। मरीज की मासिक धर्म के सात से ग्यारह दिन के बाद यह प्रक्रिया की जाती है। पूरा उपचार एक सिटिंग में ही हो जाता है। मरीज इस पूरी प्रक्रिया को खुद अपने सामने मॉनीटर पर देख सकता है। इस प्रक्रिया को करने में लगभग 30 से 45 मिनट का समय लगता है और मरीज एक घंटे के बाद घर लौट सकता है। इस प्रक्रिया के बाद कई औरतों में 3-5 दिन तक रक्त स्राव हो सकता है।

खास टिप्स…

पीड़ित महिला की माहवारी के सात से ग्यारह दिनों के बाद यह प्रक्रिया की जाती है। पूरा उपचार एक सिटिंग में ही हो जाता है।

पीड़ित महिला इस पूरी प्रक्रिया को खुद अपने सामने मॉनीटर पर देख सकती है।

इस प्रक्रिया को करने में लगभग 30 से 45 मिनट का समय लगता है।

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