अहमदाबाद, अहमदाबाद की एक विशेष सत्र अदालत ने गुरुवार को 14 साल पुराने सनसनीखेज गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेता अतुल वैद्य सहित 24 लोगों को दोषी करार दिया। विशेष सत्र अदालत के न्यायाधीश पी.बी. देसाई ने 60 आरोपियों में से 36 को दोषी नहीं घोषित किया। अदालत ने इस मामले में अभियोजन पक्ष के साजिश के आरोप को खारिज कर दिया।
28 फरवरी, 2002 में अहमदाबाद शहर के मेघानी नगर इलाके में गुलबर्ग हाउसिंग सोसाइटी को हथियारबंद भीड़ ने दिनदहाड़े आग लगा दी थी, जिसमें कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोगों की मौत हो गई थी। सोसाइटी में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग रहते थे। आगजनी की इस घटना के बाद सोसाइटी के अंदर से 39 जले शव बरामद हुए थे, जबकि घटना के बाद से लापता अन्य 30 लोगों को विशेष जांच दल (एसआईटी) ने घटना के 12 साल बाद मृत घोषित कर दिया। इन 30 लोगों का उस दिन के बाद कभी कोई सुराग नहीं लगा।
अदालत दोषियों को छह जून को सजा सुनाएगी। दोषी ठहराए गए 24 में से 11 लोगों को अदालत ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत हत्या का दोषी पाया और अन्य 13 को इससे कमतर अपराधों का दोषी पाया। सभी 60 आरोपी सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद थे, जबकि उनके परिजन बड़ी संख्या में अदालत परिसर में एकत्रित थे। सर्वोच्च न्यायालय ने इस साल 22 फरवरी को विशेष सत्र अदालत को गुलबर्ग सोयाइटी जनसंहार मामले में तीन माह के अंदर अपना फैसला सुनाने का निर्देश दिया था, जिसके बाद सत्र अदालत ने नियमित आधार पर मामले में सुनवाई की। गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड 2002 के गुजरात दंगों के दौरान हुए नौ प्रमुख मामलों में से एक है, जिनकी जांच सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त एसआईटी ने की। एसआईटी ने इस मामले में 66 लोगों को आरोपी बनाया था। इनमें से नौ पिछले 14 वर्षो से जेल में हैं, बाकी जमानत पर जेल से बाहर हैं।