गुजरात में गुप्तचर विभाग के पूर्व प्रमुख ने कांग्रेस और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी पर साल 2002 के गुजरात के दंगा पीड़ितों को धोखा देने का आरोप लगाया है.आईपीएस अफ़सर आरबी श्रीकुमार ने अपनी किताब ‘गुजरात: बिहाइंड द कर्टेन’ में कांग्रेस पर धर्मनिरपेक्षता का दिखावा करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कांग्रेस पर नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ केस चलाने को लेकर अनिच्छुक होने के इल्ज़ाम भी लगाए हैं. उन्होंने लिखा है कि दंगों की जांच में सहयोग कर रहे ‘व्हिसलब्लोअर्स’ को भी कांग्रेस और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने धोखा दिया.
अपनी किताब में वे यहां तक कहते हैं कि यूपीए सरकार ने केंद्रीय जांच एजेंसियों की रिपोर्ट दंगा जांच एजेंसियों को नहीं सौंपी.”उन्होंने यह आरोप भी लगाया है कि यूपीए सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने में भी देरी की, जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट को एसआईटी का गठन करना पड़ा.अपनी किताब में वे कहते हैं कि कांग्रेस मोदी विरोधी रुख़ को लेकर काफ़ी उधेड़बुन में थी कि इससे हिंदुओं का एक तबक़ा उससे अलग हो जाएगा जो मुसलमान विरोधी तो है लेकिन भाजपा समर्थक नहीं है.
श्रीकुमार ने कहा, ”कांग्रेस मेरी किताब पढ़ने के बाद बचाव का रास्ता खोजेगी क्योंकि इसमें सब कुछ सच लिखा है. पिछले साल राज्य सरकार को सौंपी गई नानावटी आयोग की रिपोर्ट को गुजरात विधानसभा में टेबल कराने के लिए कोई कांग्रेस विधायक अब तक आगे नहीं आया है. यह बताता है कि वो कहां खड़े हैं.”
वर्ष 2002 में अप्रैल से सितंबर तक सीआईडी विभाग में एडीजी रहे श्रीकुमार अकसर संघ और गुजरात की मोदी सरकार पर दंगों के दौरान लोगों की जान न बचाने के आरोप लगाते रहे हैं. इन दंगों के दौरान सेवा में रहे किसी आईपीएस अधिकारी की यह पहली किताब है, जिसमें उन्होंने कांग्रेस के राज्य और केंद्रीय नेतृत्व पर ‘बेहद ढुलमुल और निंदनीय रवैया’ अपनाने का आरोप लगाया है.श्रीकुमार गांधीनगर में रहते हैं. वो 2007 में रिटायर हुए और उसके बाद वो आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए. हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के एक अधिकारी के ख़िलाफ़ सीबीआई छापे के बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया था.
गुजरात में फ़रवरी 2002 में गोधरा में एक ट्रेन में सवार 58 हिंदू कारसेवकों के आग में झुलस जाने के बाद राज्य में दंगे भड़के थे और सरकारी आंकड़ों के मुताबिक एक हज़ार लोग मारे गए थे जिनमें अधिकतर मुसलमान थे. राज्य की तत्तकालीन मोदी सरकार पर दंगे रोकने में विफल रहने और मुसलमानों के जानमाल की रक्षा न करने के आरोप लगे थे.