मुंबई, गुजरात में साल 2002 में भड़के दंगे के दौरान सामूहिक दुष्कर्म का शिकार हुईं बिलकिस बानो ने गुरुवार को इस मामले में बंबई उच्च न्यायालय के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि इसने एक बार फिर उनका भरोसा देश की न्याय व्यवस्था में जगा दिया है। न्यायालय ने इस मामले में निचली अदालत द्वारा 11 अभियुक्तों को दोषी ठहराए जाने के फैसले को बरकरार रखा, पर इस मामले में पांच पुलिसकर्मियों को बरी किए जाने के निचली अदालत के फैसले को पलट दिया।
न्यायालय के फैसले की सराहना करते हुए बिलकिस बानो उर्फ बिलकिस याकूब रसूल ने अपने वकील के जरिए दिए बयान में कहा, मैं आभारी हूं। इस फैसले ने एक बार फिर मेरा भरोसा देश की न्याय-व्यवस्था में जगा दिया है। उन्होंने कहा, एक इंसान, नागरिक, महिला और मां के रूप में मेरे अधिकारों का बेहद बर्बर तरीके से उल्लंघन किया गया था। लेकिन हमारे देश की लोकतांत्रिक संस्था में मेरा भरोसा बना रहा। अब मेरा परिवार और मैं महसूस करते हैं कि हम एक बार फिर अपना जीवन निर्भीक होकर जी सकते हैं।
बिलकिस के साथ तीन मार्च, 2002 को गुजरात दंगों के दौरान दाहोद के पास देवगढ़-बरिया गांव में सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। बिलकिस और उनके दर्जनभर परिवार के सदस्यों पर उग्र भीड़ ने हमला कर दिया था, जिससे उनके परिवार के कई सदस्यों की मौत हो गई थी। उन्होंने निचली अदालत द्वारा पांच पुलिसकर्मियों को बरी किए जाने के फैसले को उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त करने के संदर्भ में कहा, राज्य के अधिकारी, जिनका कर्तव्य नागरिकों की रक्षा करना और उनके साथ न्याय सुनिश्चित करना होता है, यह उनके लिए शर्म की बात होनी चाहिए जिसे वह हमेशा याद रखेंगे।
बिलकिस ने कहा, इस फैसले का यह अर्थ नहीं है कि नफरत खत्म हो गई है, लेकिन इसका मतलब है कि न्याय अब भी बरकरार है। यह मेरे लिए लंबा, कभी न खत्म होने वाला संघर्ष रहा, लेकिन जब आप सच्चाई की राह पर होते हैं तो आपकी आवाज सुनी जाएगी और अंत में न्याय की जीत होगी। बिलकिस ने इस कड़े संघर्ष में सतत सहयोग के लिए अपने पति याकूब, परिवार के सदस्यों, निजी दोस्तों, अपने वकील और सीबीआई अधिकारियों का आभार जताया।