नई दिल्ली, चीन के दबाव मे आकर भारत ने आज चीन के बागी नेता डोल्कन ईसा का वीजा रद्द कर दिया है। चीन के विरोध के बाद भारत ने वीजा रद्द करने का फैसला लिया। चीन के इस बागी नेता को धर्मशाला में आयोजित होने वाले सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आना था और चीन में लोकतांत्रिक परिवर्तन पर चर्चा में शामिल होना था। गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने आज कोई ब्यौरा दिए बिना कहा, ‘हमने दोल्कुन इसा को दिया गया वीजा रद्द कर दिया है।’
वर्ल्ड उइगर कांग्रेस चीन से निर्वासित उइगुर मुसलमानों का एक संगठन है और चीनी नेताओं का मानना है कि उइगुर नेता मुसलमानों की बहुसंख्या वाले शिनजियांग प्रांत में आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं। चीन सरकार ने 1990 के दशक में शिनजियांग प्रांत में बम धमाकों की घटनाओं के लिए बार-बार ईसा की तरफ उंगली उठाई है और वर्ल्ड उइगर कांग्रेस को वे एक पृथकतावादी संगठन मानते हैं जबकि उइगुर लोग चीनियों पर उनके अधिकारों का दमन करने का आरोप लगाते हैं।
वर्ल्ड उइगर कांग्रेस (डब्ल्यूयूसी) के नेता डोल्कन ईसा जर्मनी में रहते हैं। ईसा को अमेरिका स्थित ‘इनीशिएटिव फॉर चाइना’ द्वारा आयोजित सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था। डोल्कन को वीजा देने की खबरों पर चीन ने अप्रसन्नता व्यक्त ही थी। चीन का कहना था कि डोल्कन इंटरपोल रेड कार्नर नोटिस और चीन पुलिस के अनुसार एक आतंकवादी है।
वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस (डब्ल्यू.यू.सी) के नेता को अमेरिका स्थित ‘इनिशिएटिव्स फॉर चाइना’ द्वारा आयोजित किए जा रहे सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था। भारत के कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ईसा ने कहा, ‘23 अप्रैल को मुझे भारत की तरफ से एक अत्यंत लघु नोट मिला कि मेरा वीजा रद्द कर दिया गया है। इसमें कोई स्पष्टीकरण नहीं था।’
ईसा ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि इसके पीछे असल में क्या कारण है। उन्होंने कहा, ‘यह भारत सरकार पर चीन द्वारा डाले गए दबाव की वजह से हो सकता है। लेकिन मुझे नहीं पता, मुझे भारत की तरफ से कोई कारण नहीं बताया गया।’ पिछले हफ्ते डब्ल्यूसी नेताओं को अनुमति देने का भारत का फैसला पठानकोट आतंकी हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र से आतंकवादी घोषित कराने के भारत के प्रयासों में चीन द्वारा अड़ंगा लगाए जाने के मद्देनजर आया था।
डोल्कन ईसा 1985-89 के दौरान झिंजियांग यूनिवर्सिटी में छात्र नेता थे। उनकी विद्रोही गतिविधियों के कारण यूनिवर्सिटी से निकाल दिया गया।यूनिवर्सिटी से निकाले जाने के बाद भी ईसा ने तुर्की से स्वतंत्र छात्र के रूप में पॉलिटिक्स और साइकोलॉजी में पीजी किया।चीनी सरकार के खिलाफ बगावती तेवर के कारण ईसा को प्रताड़ित किया जाने लगा। इस वजह से 1997 में वह यूरोप भाग गए। 2006 में उन्होंने जर्मनी की नागरिकता ग्रहण कर ली. इसके बाद ईसा वर्ल्ड उइगर कांग्रेस (WUC) का गठन किया। WUC चीन से बाहर रहने वाले उइगर कम्युनिटी के लोगों का एक ग्रुप है। ईसा इसके महासचिव हैं। ईसा पर चीन के शिंजियांग प्रोविंस में आतंकवादी घटनाओं में शामिल होने और हत्या की साजिश रचने का आरोप है।1997 से वह इंटरपोल की लिस्ट में है। चीन का मानना है कि इन्होंने मुस्लिम बहुल शिंजियांग प्रोविंस में आतंकवाद को बढ़ावा दिया है।शिंजियांग में उइगर मुसलमानों की आबादी एक करोड़ से ज्यादा है। इन्हें तुर्किक मूल का मुस्लिम माना जाता है। यहां उइगर मुसलमान अलग-अलग मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. चीन ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट को आतंकी संगठन मानता है।डोल्कन ईसा का कहना है कि पूर्वी तुर्किस्तान और भारत के बहुत पुराने रिश्ते थे। उइगर भारत को प्यार करते हैं।उइगर समुदाय की महिलाएं अपनी खूबसूरती के लिए दुनिया भर में जानी जाती हैं। इनमें से ज्यादातर डांसर, मॉडल और एक्टिंग से जुड़ी हैं।