चेन्नई, तट के पास तेल रिसाव से बढ़ती चिंताओं के बीच केंद्र ने आज कहा है कि अब तक 65 टन गाद निकाली जा चुकी है और साफ-सफाई का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। केंद्र ने यह भी यकीन जताया कि साफ-सफाई का काम कुछ दिन में पूरा हो जाएगा। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन समेत कई अन्य कंपनियां तेल की गाद को सुरक्षित तरीके से निपटाने के लिए विशेष जैव-उपचार सामग्री उपलब्ध करवा रही हैं। आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया, दो फरवरी तक हटाई गई गाद की कुल मात्रा 65 टन है। ऐसा माना जाता है कि तेल रिसाव की मात्रा और प्राप्त हुई गाद की मात्रा के बीच बड़ा अंतर है। इसके पीछे की वजह यह है कि तेल जम जाता है और जब इसे पानी और रेत के साथ निकाला जाता है तो यह फूल जाता है। इसमें कहा गया, 90 प्रतिशत से अधिक काम पूरा हो चुका है और गाद निकालने का अधिकतर काम कुछ दिन में पूरा हो जाने की संभावना है। इसमें कहा गया कि सुपर सकर्स ने 54 टन गाद निकाल दी है और इसमें 70 प्रतिशत पानी है।
विज्ञप्ति में कहा गया, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने सुरक्षित निपटान के लिए एकत्र किए गए तेलीय गाद के उपचार के लिए विशेष जैव-उपचार पदार्थ उपलब्ध कराया है। इसमें कहा गया, एचपीसीएल ने एकत्र गाद को एन्नोर पत्तन क्षेत्र तक ले जाने के लिए ट्रेलर और श्रमबल उपलब्ध कराया है। वहां आईओसी के विशेषज्ञों की निगरानी में इसका जैव उपचार किया जाना है। इसके लिए वहां 2000 वर्गमीटर का गड्ढा खोदा गया है। चेन्नई पोर्ट और तमिलनाडु सरकार ने आज एर्नावूर और कासीमेदू मत्स्य बंदरगाह पर चिकित्सा शिविर लगाए हैं। गत 28 जनवरी को दो पोत एन्नोर स्थित कामराजर पत्तन के बाहर टकरा गए थे। इसके कारण इनमें से एक पोत में टूट-फूट हो गई, जिससे तेल का रिसाव हो गया। विज्ञप्ति में कहा गया कि जैसे ही तेल के रिसाव का पता चला, तटरक्षक ने विभिन्न स्थानों पर सफाई के लिए उपकरण और श्रमबल जुटाना और अभियानों का समन्वय करना शुरू कर दिया। तिरूवल्लूर, चेन्नई और कांचीपुरम जिलों में विभिन्न स्थानों पर सफाई का एक व्यापक अभियान शुरू किया गया, जिसमें एर्नावूर, चेन्नई मत्स्य पत्तन, मरीना बीच, बेसंत नगर, कोट्टिवक्कम, पलवक्कम, नीलनकरई और इंजमबक्कम बीच शामिल थे। तटरक्षक चेन्नई पत्तन, कामराजर पत्तन, राज्य सरकार और उसकी एजेंसियों, आईओसीएल, एनजीओ के कर्मियों, समुद्री शिक्षा संस्थानों के कैडेट प्रशिक्षुओं और मछुआरों के साथ मिलकर संयुक्त रूप से अभियानों का समन्वय कर रहे हैं।
विज्ञप्ति में कहा गया कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और जहाजरानी मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों को प्रभावित इलाकों की जांच, तेल रिसाव की सफाई के काम में समन्वय एवं समीक्षा के लिए तैनात किया गया है। इसमें कहा गया कि उन्होंने राज्य की प्रमुख सचिव गिरिजा विद्यानाथन से भी इस मुद्दे पर चर्चा के लिए मुलाकात की। चेन्नई पत्तन और कामराजर पत्तन ने स्थिति से निपटने के लिए नियंत्रण कक्षों की स्थापना की है। इसमें कहा गया, कामराजर पत्तन में टियर-1 तेल रिसाव प्रतिक्रिया उपकरण है। पर्यावरण मंत्रालय के स्वायत्त केंद्र नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट को कामराजर पत्तन ने पर्यावरण पर पड़ने वाले असर के अध्ययन के लिए शामिल किया है। तटरक्षक पोत और हेलीकॉप्टर नियमित रूप से इस कार्य का निरीक्षण कर रहे हैं। यदि कहीं भी तेल का जमाव मिलता है तो सामान और श्रमबल को तटरक्षक की निगरानी में वहां तैनात कर दिया जाएगा। जहाजरानी महानिदेशालय ने इस घटना के पीछे की वजहों का पता लगाने के लिए मर्चेंट शिपिंग एक्ट के तहत वैधानिक जांच गठित कर दी है।