नयी दिल्ली , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोजगार के आर्थिक और सामाजिक पहलुओं पर जोर देते हुए शुक्रवार को कहा कि दुनिया इस समय बड़े बदलावों की दहलीज पर खड़ी है तथा इनका सामना करने के लिए जवाबी एवं कारगर रणनीतियां तैयार करने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश के इंदौर में आयोजित जी-20 श्रम और रोजगार मंत्रियों की बैठक को वीडियो संदेश के माध्यम से सम्बोधित करते हुए कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति के इस युग में रोजगार की मुख्य प्रेरक-शक्ति प्रौद्योगिकी है और भविष्य में भी बनी रहेगी। उन्होंने प्रौद्योगिकी के कारण होने वाले बदलावों का उल्लेख करते हुए कहा कि रोजगारों का सृजन करने में भारत की क्षमता बढ़ी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरे परिवेश में यह बदलाव स्वतंत्र कामगारों और ठेके पर काम करने वालों तथा किसी एप्प या वेबसाइट के जरिये ग्राहकों के लिये काम करने वालों के नये वर्गों के पैदा होने के कारण संभव हुआ है। ये दोनों तरह की अर्थव्यवस्थायें महामारी के दौरान अस्तित्व में आई थीं। उन्होंने कहा कि यह लचीली व्यवस्था है और इससे आय के अतिरिक्त स्रोत मिलते हैं। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था में लाभप्रद रोजगार पैदा करने, खासतौर से युवाओं के लिये रोजगार पैदा करने की अपार क्षमता है। इसके जरिये महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण में भी बदलाव लाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नये युग के इन कामगारों के लिये नये युग की नीतियां और योजनायें बनाने में अपनी क्षमता पहचानने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि नियमित काम के लिये अवसर पैदा करने के सतत समाधान खोजे जायें तथा सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कुशलक्षेम सुनिश्चित करने के लिये नये तौर-तरीके तैयार किये जायें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में सामाजिक सुरक्षा के दायरे की सही तस्वीर समझने के लिये, सार्वभौमिक स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, बीमा और पेंशन कार्यक्रमों के लाभों को ध्यान में रखना होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि हमें हर देश की अनोखी आर्थिक क्षमताओं, शक्ति और चुनौतियों को समझना होगा। हमें यह जानना होगा कि सबके लिये एकरूपी सोच सामाजिक सुरक्षा के अनवरत वित्तपोषण के लिये उपयुक्त नहीं है।
उन्होंने उन्नत प्रौद्योगिकियों और प्रक्रियाओं के प्रयोग से श्रमशक्ति को कुशल बनाने पर जोर देते हुये कहा,‘स्किलिंग, री-स्किलिंग और अप-स्किलिंग’ भावी श्रमशक्ति का मूलमंत्र है। उन्होंने ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ का भी उदाहरण दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के पास विश्व में कुशल श्रमशक्ति के सबसे बड़े प्रदाता देशों में से एक बनने की क्षमता है तथा वैश्विक रूप से चलित श्रमशक्ति भविष्य में वास्तविकता बन जायेगी। उन्होंने विकास के वैश्वीकरण तथा सच्चे अर्थों में कौशल को साझा करने में जी-20 की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समन्वय तथा प्रवास और एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के बारे में साझेदारियों के नये तौर-तरीकों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शुरूआत में नियोक्ताओं और कामगारों के बारे में आंकड़ों, सूचना और डाटा को साझा किया जाना चाहिये, जिससे बेहतर कौशल निर्माण, श्रमशक्ति योजना और लाभप्रद रोजगार के लिये प्रमाण-आधारित नीतियां बनाने में दुनिया भर के देश क्षमतावान बन सकें।