नई दिल्ली, पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने का उल्लेख करने पर राज्यसभा में शनिवार को भारी शोरगुल हुआ।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सुबह सदन में आवश्यक कागजात सदन के पटल पर रखवाने के बाद राष्ट्रीय लोकदल के जयंत चौधरी का नाम पुकारा। श्री चौधरी ने चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का उल्लेख करते हुए कहा कि चौधरी साहब को भारत रत्न देने से गांव-गांव में दिवाली मनाई जा रही है और देश भर के किसानों में खुशी की लहर है। इस पर कांग्रेस के सदस्यों ने उन पर टिप्पणियां करनी आरंभ कर दी। कांग्रेस के जय राम रमेश ने श्री जयंत चौधरी पर एक टिप्पणी की। इससे सदन में शोरगुल होने लगा।
सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि श्री जयंत चौधरी को किस नियम के तहत बोलने की अनुमति दी जा रही है। उन्होंने सभापति पर मनमानी तरीके से सदन चलाने के आप भी लगाए। इससे सभापति और श्री खड़गे के बीच की बहस हुई।
केंद्रीय मंत्री परसोत्तम रुपाला ने कहा कि चौधरी चरण सिंह को सम्मान देना कांग्रेस पचा नहीं पा रही है। उसे किसान पुत्र का सम्मान रास नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता सभापति पर उंगली उठा रहे हैं। श्री रूपाल ने कहा कि चौधरी चरण सिंह का सम्मान देश के किसानों का सम्मान है लेकिन चौधरी चरण सिंह की सरकार गिराने वाली कांग्रेस को यह पसंद नहीं आ रहा है।
सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि चौधरी चरण सिंह, श्री पीवी नरसिम्हा राव और एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित करना गर्व की बात है। भारतीय को इस पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी भी सिर्फ पी वी नरसिम्हा राव को सम्मान नहीं दिया।
श्री धनखड़ ने कहा कि सदन में किसानों का अपमान हो रहा है। यह ठीक नहीं है। उन्होंने जय राम रमेश से कहा कि आपके साथ कुछ गड़बड़ है। एक अन्य सदस्य को संबोधित करते हुए कहा कि आप कमांडो की तरह बोल रहे हैं।
इसके बाद उन्होंने श्री जयंत चौधरी को फिर से बोलने की अनुमति दी। श्री जयंत चौधरी ने कहा कि चौधरी चरण सिंह चुनाव और चुनावी गठजोड़ की राजनीति से परे हैं। उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने पर ग्रामीण युवा, किसान और मजदूर वर्ग को प्रेरणा मिलेगी ।
तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदू शेखर राय ने कहा कि चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने पर सदन में विवाद होना दुखद है। उन्होंने कहा कि सदस्यों को किसी भी मुद्दे पर बोलने की अनुमति देना सभापति का विशेषाधिकार है।