नई दिल्ली, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट-2002 के तहत कार्रवाई करते हुए छत्तीसगढ़ के प्रधान सचिव रहे बाबूलाल अग्रवाल और प्राइम इस्पात लि. की 36 करोड़ 9 लाख रुपये की चल-अचल संपत्ति जब्त कर ली है। ईडी के अनुसार सीबीआई ने 2010 में बीएल अग्रवाल के खिलाफ धोखाधड़ी, गैरकानूनी संपत्ति सहित कई अपराधों के लिए केस दर्ज किया था। आयकर विभाग ने भी आईएएस बीएल अग्रवाल के परिसरों पर छापे मारे थे। आर्थिक अपराध शाखा के छापे के बाद पुलिस ने बीएल अग्रवाल के खिलाफ केस दर्ज किया था।
ईडी ने बताया कि आईएएस बीएल अग्रवाल द्वारा गलत तरीके से कमाए पैसों को भोले-भाले गांववालों के बैंकखातों में जमा करवाया जाता था, उसके बाद इस पैसों से फर्जी कंपनियों के शेयर आवेदन पत्र लिए जाते थे। उसके बाद ये फर्जी कंपनियां सारा पैसा आईएएस अग्रवाल के भाई की कंपनी, प्राइम इस्पात लि. में लगाते थे। जांच में पता चला कि साल 2006-08 के बीच इस आईएएस अधिकारी ने अपने चॉर्टेड एकाउंटेंट सुनील अग्रवाल की सहायता से 446 बैंक खाते खुलवाए। ये बैंक खातें रायपुर के पास खारोरा गांव और उसके आसपास के गांवों में रहने वाले गांववालों के नाम पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की पांधरी शाखा और रामसागरपारा शाखा में खुलवाए गए थे।
जांच में ये भी पता चला कि बैंक खाता खुलवाते वक्त कोई भी गांववाला बैंक की शाखा में नहीं आया और ये सब बैंककर्मियों की मिली-भगत से हुआ। इस तरह आरबीआई के केवीसी (अपने ग्राहक को जानों) नियमों का पालन नहीं किया गया। जांच के दौरान बैंक खाताधारकों, जिसमें ड्राइवर, चपरासी, पानवाला, खेत मजदूर, कारपेंटर, दूधवाला शामिल थे, ने ऐसा कोई भी बैंक खाता होने की जानकारी से इंकार कर दिया। जांच में पता चला कि 12 दिसंबर 2008 को, एक दिन में ही, 67 बैंकखातों में 1 करोड़ 68 लाख रुपये जमा किए गए। इस तरह इन बेनामी बैंक खातों में साल 2006-09 के बीच 39 करोड़ रुपये जमा किए गए। इन खातों से 13 फर्जी कंपनियों को भुगतान किया गया। इस तरह इन फर्जी कंपनियों ने 39 करोड़ 67 लाख रुपये कमाएं। ईडी ने कार्रवाई करते हुए 70.78 एकड़ जमीन, 23. 89 करोड़ की फैक्ट्री और मशीनें, 7.07 करोड़ की फैक्ट्री बिल्डिंग, टोयाटा इनोवा कार, 55 लाख रुपये का 2482 वर्गफीट का आवासीय परिसर, 4.61 लाख रुपये का एक प्लॉट जब्त किया है।