नई दिल्ली, सात जजों को 5 साल की सजा सुनाने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस कर्णन को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी करार दिया है। इसके साथ ही उन्हें अदालत ने 6 महीने की सजा सुनाई है। साथ ही अदालत ने उन्हें तुरंत जेल भेजने के आदेश भी दिए हैं। कर्णन को यह सजा सात जजों के बेंच ने सुनाई है।
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सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया पर भी पाबंदी लगा दी है कि वो जस्टिस करनन के किसी भी बयान को ना छापेगा और ना ही टीवी पर दिखा सकेगा. भारत के न्यायिक इतिहास में ये पहली बार हुआ है जब हाई कोर्ट के किसी जज को अदालत की अवमानना का दोषी मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जेल भेजने का आदेश दिया हो.
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जस्टिस कर्नन ने प्रधानमंत्री को लिखे एक खत में बीस सिटिंग और रिटायर्ड जजों पर करप्शन का आरोप लगाते हुए कार्रवाई किए जाने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्नन के इस तरह के खत और अलग-अलग जगह पर दिए गए उनके बयानों का स्वतः संज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी. जमानती वारंट जारी होने के बाद जस्टिस कर्नन 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश भी हुए थे. कोर्ट ने उन्हें एक मौका देते हुए चार हफ्ते के अंदर जवाब मांगा था.
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माफी मांगने की बजाए जस्टिस कर्नन ने 13 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर और 7 जजों को 28 अप्रैल के दिन अपनी अदालत में पेश होने का आदेश जारी कर दिया था. यही नहीं, उन्होंने 28 अप्रैल को दिल्ली स्थित एयर कंट्रोल अथॉरिटी को निर्देश दिया था कि केस खत्म होने तक चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के सात दूसरे जजों को देश के बाहर यात्रा करने की इजाजत न दी जाए.
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