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जम्मू में सेना के कैंप पर बड़ा आतंकी हमला, दो जेसीओ शहीद, चार लोग घायल

जम्मू, जम्मू के सुंजवान शहर में स्थित सेना के एक शिवर पर आज तड़के आतंकवादियों ने हमला कर दिया जिसमें दो जूनियर कमिशंड अधिकारी  शहीद हो गए जबकि एक कर्नल रैंक का अधिकारी और एक सैन्य कर्मी की बेटी समेत चार लोग घायल हो गए। प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री अब्दुल रहमान वीरी ने जम्मू कश्मीर विधानसभा को जानकारी दी कि आतंकवादियों के हमले में सूबेदार मगनलाल और सूबेदार मोहम्मद अशरफ शहीद हो गए।

उन्होंने बताया कि घायलों में कर्नल रैंक का सैन्य अधिकारी, हवलदार अब्दुल हमीद, लांस नायक बहादुर सिंह और सूबेदार चौधरी की बेटी शामिल हैं। इस बीच भाजपा सदस्यों ने विधानसभा में पाकिस्तान विरोधी नारे लगाए। मंत्री ने यह नहीं बताया कि हमला करने वाले आतंकवादी किस संगठन के थे हालांकि अधिकारियों ने बताया कि इस हमले के पीछे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों का हाथ है।

उन्होंने बताया कि आतंकवादियों की सटीक संख्या का पता नहीं चला है लेकिन पीसीआर जम्मू को मिले कॉल के अनुसार चार से पांच आतंकवादियों ने हमला किया। जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक एस. पी. वैद्य ने बताया कि आतंकवादी सुंजवान सैन्य शिविर में पीछे की ओर बने आवासीय क्वार्टर की ओर से घुसे। उन्होंने बताया कि आतंकवादियों को घेर लिया गया है।

पुलिस महानिरीक्षक एस डी सिंह जामवाल ने यहां संवाददाताओं को बताया, ‘‘सुबह करीब चार बजकर 55 मिनट पर संतरी ने संदिग्ध घुसपैठ देखी और तभी उसके बंकर पर गोलीबारी की गई। संतरी ने इस गोलीबारी का माकूल जवाब दिया। आतंकवादियों की संख्या के बारे में जानकारी नहीं है। आतंकियों की घेराबंदी कर ली गई है।’’

सुरक्षाबलों और पुलिस ने सुंजवान सैन्य शिविर के आसपास के इलाके की भी घेराबंदी कर ली है। यह शिविर 36 ब्रिगेड के तहत पहली जम्मू कश्मीर लाइट इंफेंट्री के अंतर्गत आता है।  सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि हमले के फौरन बाद सेना के विशेष बलों और विशेष अभियान दल के अतिरिक्त बलों को मौके पर भेजा गया और भारी गोलीबारी के बीच पूरे इलाके की घेराबंदी की गई।

अधिकारियों ने एहतियाती कदम के रूप से शिविर के आसपास के सभी स्कूलों को आज बंद रखने का आदेश दिया है।  जम्मू में हाईअलर्ट घोषित किये जाने के साथ ही आसपास के इलाकों में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है।  खुफिया एजेंसियों ने अफजल गुरू की बरसी पर जैश ए मोहम्मद द्वारा सुरक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाये जाने को लेकर पहले ही चेतावनी जारी की थी। अफजल गुरू को नौ फरवरी 2013 को फांसी दी गई थी।