नई दिल्ली, हरियाणा में जाट आरक्षण पर रोक के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल हो गई है। हरियाणा अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने अध्यक्ष हवा सिंह सांगवान के जरिये विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर जाट आरक्षण पर अंतरिम रोक लगाने वाला हाईकोर्ट का आदेश निरस्त करने की मांग की है। याचिका में प्रोफेशनल और टैक्निकल पाठ्यक्रमों में शुरू हो चुके प्रवेश और सरकारी नौकरियों में चल रही भर्तियों में जाटों के आरक्षण से बाहर होने की दुहाई देते हुए सुप्रीमकोर्ट से हाईकोर्ट के आदेश पर तत्काल अंतरिम रोक भी मांगी गई है।
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने गत 26 मई को हरियाणा में जाटों को पिछड़े कोटे का आरक्षण देने वाले कानून पर अंतरिम रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने कानून पर अंतरिम रोक लगाने वाला आदेश जाट आरक्षण को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर जारी किया था। हाईकोर्ट के इसी आदेश को सुप्रीमकोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई है। दाखिल याचिका में कहा गया है जनहित याचिका पर सुनवाई लंबित रहने के दौरान कानून पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश देकर हाईकोर्ट ने गल्ती की है। हाईकोर्ट को राज्य विधानसभा द्वारा पारित जाटों को आरक्षण देने वाले कानून पर अंतरिम रोक नहीं लगानी चाहिए थी। ऐसा करके हाईकोर्ट ने जनहित याचिका में की गई अंतिम मांग अंतरिम आदेश में ही पूरी कर दी है। वैसे भी हाईकोर्ट की अपनी गाइड लाइन और पूर्व आदेश के मुताबिक किसी कानून की वैधानिकता को जनहित याचिका में चुनौती नहीं दी जा सकती।
याचिका में हाईकोर्ट के रोक आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की मांग करते हुए कहा गया है कि हरियाणा स्टाफ सलेक्शन कमीशन ने 41745 पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकाला है जिसमें पिछड़ा वर्ग के लोगों ने आवेदन कर रखा है। हाईकोर्ट के आदेश के कारण उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाएगा। इसके अलावा राज्य में तकनीकी और व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। राज्य सरकार से प्राप्त सूचना के मुताबिक 21729 अभ्यर्थियों ने पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत आवेदन कर रखा है। हाईकोर्ट के रोक आदेश के कारण जाटों को प्रवेश में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाएगा। हरियाणा विधानसभा ने गत 29 मार्च को सर्वसम्मति से कानून पारित कर राज्य में जाट और पांच अन्य जातियों को पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत आरक्षण दे दिया था। आरक्षण पाने वाले समुदायों में जाट, जट सिख, मुस्लिम जाट, बिश्नोई, रोर और त्यागी शामिल हैं। इन्हें सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में दाखिले में दस फीसद आरक्षण दिया गया है।