प्रयागराज, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में जातिगत जनगणना कराने की मांग संबंधी याचिका पर राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने गोरखपुर के सामाजिक कार्यकर्ता काली शंकर की याचिका पर दिया है।
याची का कहना है कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति की गणना की गई है। वे क्रमशः 15 व 7.5 फीसदी है जिनको आबादी के हिसाब से सुविधाएं दी जा रही है मगर ओबीसी की जाति जनगणना दशकों से नहीं की गयी, इसलिए ओबीसी की जाति जनगणना की जानी चाहिए ताकि सही संख्या का पता चले और उन्हें इसका लाभ दिया जा सके। जाति जनगणना न होने से पिछड़े समाज का बहुत ही अहित हो रहा है। कोर्ट इस याचिका पर चार सप्ताह बाद सुनवाई करेगी।