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जानिये एक्सरसाइज के दौरान चोट से बचने के उपाय

gymशरीर को फिट रखने के लिए रोजाना व्यायाम बेहद जरूरी है लेकिन उससे भी महत्वपूर्ण है, सही तरह से एक्सरसाइज करना। अगर जोर-आजमाइश करते वक्त आह-आउच कहने की नौबत आ जाए तो इसे नजरअंदाज न करें बल्कि इसका कारण जानने की भी कोशिश करें। आइए जानते हैं, ऐसी ही कुछ इंजरीज के बारे में। क्या आप जिम में वजन घटाने के लिए एकदम से उत्साहित होकर ज्यादा वर्कआउट कर बैठते हैं? या फिर स्ट्रेचिंग या कसरत करते वक्त चोट लगने पर भी एक्सरसाइज जारी रखते हैं? अगर आप इनमें से कुछ भी ऐसा कर रहे हैं तो बिलकुल गलत है। चिकित्सक के अनुसार ज्यादा जोर आजमाते हुए कुछ लोग मस्क्युलोस्केलटल इंजरी से पीडित हो सकते हैं। आजकल क्लिनिक में भी वर्कआउट इंजरी के बहुत से मामले देखने को मिल रहे हैं। हाल के वर्षों में तो जिम में एक्सरसाइज करने का ट्रेंड चल निकला है। यह आज की जरूरत भी है, इसीलिए जो भी वर्कआउट करें, अपने ट्रेनर या किसी एक्सपर्ट की मदद से ही करें। होती है ये समस्याएं:- आजकल तेजी से विकसित होते शहरी लाइफस्टाइल और व्यायाम की गलत पद्घतियों के कारण मसल या लिगमेंट इंजरी, बार-बार होने वाली स्ट्रेस इंजरी, कार्टलिज टियर्स, टेंडनाइटिस जैसी आम इंजरी बढने लगी है। इसके अलावा जिम में मसल पुल और खिंचाव, शिन स्प्लिंट, नी इंजरीज, कंधे की इंजरी और कलाई में मोच आना शामिल है। एक्सपर्ट ट्रेनर्स की हिदायत के बावजूद जुनूनी युवा स्मार्ट लुक पाने के लिए अपने शरीर के साथ ज्यादती कर बैठते हैं। कुछ ऐसा ही मामला हाल ही में देखने को मिला कि कॉलेज स्टूडेंट नरेश पंड्या को इनफ्लेमेशन और कंधे में दर्द की शिकायत हुई। जांच के दौरान पता चला कि उसके कंधे के रोटेटर कफ मसल में खिंचाव आ गया है। नरेश ने इससे पहले किसी भी तरह का कोई व्यायाम नहीं किया था। उसने अचानक मसल्स बनाने के लिए जिम में कुछ ज्यादा हेवी एक्सरसाइज कर डाली थी। वर्कआउट संबंधी इंजरीज:- जिम में एक्सरसाइज करते वक्त शरीर के कई हिस्सों में चोटें लगना आम बात है। ऐसे में शरीर के किस हिस्से में किस प्रकार की चोटें लगती हैं, जानें… कंधा:- कंप्यूटर पर देर तक काम करने के चलते ज्यादातर लोगों के कंधों में खिंचाव आ जाता है। इसलिए एक्सपट्र्स अधिक समय तक एक ही पोस्चर में बैठने को मना करते हैं और थोडी-थोडी देर में सीट से उठने को भी कहते हैं। अगर आप प्रशिक्षण के बिना अपनी मांसपेशियों पर ज्यादा जोर डालते हैं तो कमजोर मांसपेशियां अकड सकती हैं। मांसपेशियों के समूह रोटेटर कफ कहलाते हैं, जिनसे मूवमेंट नियंत्रित होता है और जोडों को स्थिरता मिलती है। इसके अलावा कंधे के दर्द का एक बडा कारण रोटेटर कफ मसल हड्डियों की संरचना के बीच अन्य सॉफ्ट टिश्यू में कंप्रेशन या घर्षण होना है। इसे ही शोल्डर इंपिंजमेंट कहा जाता है। घुटना:- घुटने में मोच वर्कआउट इंजरी की एक आम समस्या है। यह अकसर जोडों के अति इस्तेमाल के कारण होता है। टे्रडमिल्स का अधिक इस्तेमाल करने वाले लोगों को नी इंजरी होने का खतरा रहता है। ट्रेडमिल्स के कारण घुटने पर ज्यादा जोर पडता है क्योंकि इससे संपर्क के एक ही स्थान पर अत्यधिक दबाव पडता है। वहीं जमीन पर दौड लगाने से घुटने को ज्यादा आसानी होती है क्योंकि यहां आपको मशीन की क्षमता के अनुसार नहीं चलना पडता है। घुटनों के जोडों के ऊपर कार्टलिज और लिगमेंट्स अत्यधिक दबाव के कारण बार-बार स्ट्रेस इंजरी का शिकार हो जाते हैं। कार्टलिज का नुकसान ज्यादा खतरनाक होता है क्योंकि इसकी मरम्मत नहीं हो पाती। लोअर बैक:- वेट लिफ्टिंग का लोअर बैक पर ज्यादा असर पडता है। यदि आप बहुत ज्यादा वजन उठाते रहते हैं तो लोअर बैक की मांसपेशियों में इंजरी और इनफ्लेमेशन हो सकता है। कई मामलों में भारी वजन उठाने पर स्लिप डिस्क का भी खतरा रहता है। टखने की मोच:- यह समस्या एथलीट्स में अधिक होती है। लिगमेंट्स टिश्यू की ही पट्टियां होती हैं, जो आपकी हड्डियों को एक साथ जोडकर रखती हैं। टखने पर अधिक दबाव या मरोड आपके लिगमेंट को इंजर्ड कर सकता है। जो लोग ऊबड-खाबड सतहों पर टहलते या दौडते हैं, उनमें इस समस्या का खतरा अधिक रहता है। यदि आप वर्कआउट के तहत दौडते या हलकी दौड लगाते हैं तो अच्छी तरह फिट आने वाले जूते ही पहनें और समतल सतह पर ही दौड लगाएं। ऐसे करें बचाव:- अकसर आपने वर्कप्लेस या आसपास कई ऐसे लोगों को देखा होगा जो इंजर्ड मसल्स, लिगमेंट या कार्टलिज की समस्या से पीडित होंगे। इससे पीडित होने पर भले ही आपको दवा और कुछ एक्सरसाइज कर एक सप्ताह का रेस्ट दे दिया गया हो लेकिन यह दर्द या समस्या स्वस्थ करने में लंबा समय ले लेती है। लिहाजा, इससे बचाव ही सर्वोत्तम उपाय है इसलिए इस दौरान व्यायाम और वर्कआउट स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। लेकिन इसमें हमेशा सुधार और कुशल निरीक्षण की जरूरत होती है।

जानिए ऐसे… 1. किसी भी तरह की भारी-भरकम एक्सरसाइज करने से पहले वॉर्मअप करना जरूरी है। व्यायाम करने से पहले स्ट्रेचिंग करने से शरीर में लचीलापन आता है और बॉडी हेवी एक्सरसाइज करने के लिए तैयार हो जाती है। 2. डेली रूटीन में एक ही तरह का व्यायाम भी नहीं करना चाहिए। हाथ, पैर, बाइसेप्स, हिप्स पर समान रूप से उचित ध्यान देना जरूरी है। अत्यधिक थकान वाली एक्सरसाइज और एक ही तरह की मांसपेशियों के लिए बार-बार व्यायाम करने से मांसपेशियों में खिंचाव और अकडन आ सकती है। 3. यदि आप वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज करना शुरू कर रहे हैं तो वजन में धीरे-धीरे वृद्घि करें ताकि मांसपेशियां उस तनाव में ढल सकें और ज्यादा इस्तेमाल से खिंचाव की स्थिति में न आएं। हमेशा कम वजन उठाने से ही शुरुआत करें। एकदम से भारी वजन न उठाएं। ऐसा एक सप्ताह तक करें और फिर धीरे-धीरे वजन बढाना शुरू करें। 4. एक्सरसाइज करने के बाद रिलैक्स करना भी बेहद जरूरी है। आम धारणा के विपरीत ट्रेनिंग के दौरान लिगमेंट्स और जोडों को व्यापक नुकसान होने की आशंका रहती है। यदि आपको कोई शारीरिक परेशानी महसूस हो रही है तो थोडी देर आराम कर लें। 5. वेट लिफ्टिंग रूटीन शुरू करने से पहले हमेशा अपने टे्रनर की सलाह मानें। एक्सपर्ट आपकी बॉडी टाइप को अच्छी तरह समझ चुके होते हैं। इसके अलावा अपना वर्कआउट शुरू करने से पहले उपयुक्त पोशाक पहनें। 6. किसी ऐसे एक्सपर्ट की निगरानी में ट्रेनिंग लें, जो आपकी शरीर की संरचना को भली-भांति जानता हो। कैसे बचा जाए… -सही ग्रिप वाले जूतों का चुनाव करें। -वर्कआउट से पहले 15 मिनट वॉर्मअप करें। -सही प्रशिक्षण लेना जरूरी। -शरीर की क्षमता को पहचानें। -थोडी-थोडी देर में रिलैक्स भी करें।

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