नयी दिल्ली, जैतून तेल जैसे आयातित प्रीमियम खाद्य तेलों का कारोबार करने वाले उद्योग ने इन तेलों पर आयात शुल्क कम किए जाने की मांग की है। उनका कहना है कि इन तेलों पर ऊंचे आयात शुल्क और रुपये में गिरावट से इनके बाजार पर बुरा असर पड़ा है और यह उद्योग संकट का सामना कर रहा है।
इंडियन ओलिव एसोसिएशन के उपाध्यक्ष और मोदी नेचुरल्स के कार्यकारी निदेशक अक्षय मोदी ने कहा, “एकसाथ कई चीजें हुई हैं जिससे प्रीमियम खाद्य तेल कारोबार के सामाने संकट उत्पन्न हो गया है। महंगे तेलों पर आयात शुल्क 40-49 प्रतिशत के दायरे में कर दिया गया.. दूसरी ओर यूरो के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट से आयात महंगा हो गया है। वह तेल उद्योग शीर्ष निकाय सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन की कार्यकारी समिति के भी सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि स्पेन में पिछले दो साल से जैतून की फसल खराब होने से भी जैतून तेल उद्योग का मार्जिन प्रभावित हो रहा है। उद्योग के अनुसार भारत में 67 प्रतिशत जैतून के तेल का आयात स्पेन से किया जाता है।
सरकार से महंगे तेलों पर आयात शुल्क में कमी लाने की मांग करते हुए अक्षय ने पीटीआई भाषा से कहा कि अन्य तेलों के मुकाबले आयात शुल्क का बोझ सबसे अधिक महंगे तेलों पर पड़ा है। उन्होंने उदाहरण दिया ‘‘ 40 रुपये प्रति किलोग्राम के तेल पर 44 प्रतिशत शुल्क का मतलब है करीब 17 रुपये। वहीं 300 रुपये किलो के तेल पर शुल्क का बोझ 132 रुपये पहुंच जाता है। अक्षय ने सरकार से ब्लेंडेड तेल का नाम बदलकर मल्टी सीड तेल करने का भी आग्रह किया है। देश में जैतून तेल जैसे प्रीमियम तेलों का बाजार अभी छोटा है पर इसका पिछले कुछ समय से तेजी से विस्तार हुआ है। औद्योगिक आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017-18 के दौरान करीब 230 लाख टन खाद्य तेलों की खपत हुई। इसमें से जैतून तेल की हिस्सेदारी 13,000 टन की रही। पिछले दस साल में इसकी मांग में 10 गुना तक की वृद्धि हुई है।
मोदी नेचुरल्स के कारोबार के बारे में उन्होंने कहा कि कहा कि अगले पांच साल में उनका लक्ष्य करीब 300 करोड़ रुपये का और निवेश करना एवं हर साल 30-35 फीसदी की वृद्धि प्राप्त करना है। पिछले साल कंपनी की कुल आय 300 करोड़ रुपये रही थी। उन्होंने कहा, “महंगे तेल में हमारा ब्रांड ओलिव एवं ओलिव एक्टिव अच्छा कर रहे हैं। इसके अलावा पिपो के जरिए हमने पॉप कॉर्न के क्षेत्र में कदम रखा है।”