2015-16 में प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रियों की यात्राओं के लिए 269 करोड़ रुपए का बजट रखा गया था, लेकिन यह 567 करोड़ तक पहुंच गया। यूपीए-2 के दौरान 2009-10 से 2013-14 तक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनकी कैबिनेट ने कुल 1500 करोड़ रुपए खर्च किए। एनडीए सरकार की विदेश यात्राओं का हिसाब लगाएं तो यह सिर्फ (2014-15 और 2016-17) में 1140 करोड़ रुपए हो जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरकार बनने के बाद घोषणा की थी कि विदेश यात्राओं और मंत्रियों के खर्चों में कमी लाई जाएगी। लेकिन मोदी सरकार इन खर्चों पर लगाम लगाने में नाकाम रही है।
मोदी कैबिनेट में 64 मिनिस्टर हैं जबकि यूपीए के दौरान यह फिगर 75 था। 2013-14 से कम्पेयर करें तो मोदी के मंत्रियों को 25 फीसदी सैलरी ज्यादा मिल रही है। अलाउंसेस पर 10.20 करोड़ रुपए हर साल खर्च हो रहे हैं। यह यूपीए सरकार के दौरान किए गए खर्च से 8 प्रतिशत ज्यादा है।
2015 के बाद कैबिनेट सेक्रेटरिएट में 300 लोगों का स्टाफ बढ़ाया गया। 1 मार्च 2015 को यहां टोटल स्टाफ मेंबर 900 थे जो 2016 में 1201 हो गए। हैरानी की बात ये है कि 2008-09 की ग्लोबल मंदी के बाद ये फैसला किया गया था कि सरकारी खर्च घटाए जाएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। फाइनेंस मिनिस्ट्री हर साल नॉन प्लान एक्सपेंडिचर में 10 फीसदी कटौती का प्लान बनाती है। इस प्लान में ब्यूरोक्रेट्स के फस्र्ट क्लास में ट्रेवल करने मंत्रियों के साथ विदेश जाने वाले डेलिगेशन में लोगों को कम करना शामिल है। फाइव स्टार होटलों में कॉन्फ्रेंस करने पर भी रोक लगाई गई है, लेकिन इसका फायदा नहीं हुआ। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी अगले वित्त वर्ष में विदेश यात्राओं पर 54 प्रतिशत तक कम करना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरकार बनने के बाद घोषणा की थी कि विदेश यात्राओं और मंत्रियों के खर्चों में कमी लाई जाएगी। लेकिन मोदी सरकार इन खर्चों पर लगाम लगाने में नाकाम रही है। इसका खुलासा बजट डॉक्यूमेंट में हुआ है जिसमें बताया गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट के मंत्रियों ने वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान विदेश यात्राओं पर 567 करोड़ रुपए खर्च किए, जो कि पिछले वित्त वर्ष से 80 प्रतिशत ज्यादा है। पीएम मोदी और मंत्रियों के खर्च के अलावा ब्यूरोक्रेट्स की यात्राओं पर 500 करोड़ खर्च किए जाने की बात भी इस डॉक्यूमेंट से सामने आ आई है।
जानकारी के मुताबिक, 2015-16 में पीएम मोदी और उनके मंत्रियों की यात्राओं के लिए 269 करोड़ रुपए का बजट रखा गया था, लेकिन यह 567 करोड़ तक पहुंच गया। यूपीए-2 के दौरान 2009-10 से 2013-14 तक पीएम मनमोहन सिंह और उनकी कैबिनेट ने कुल 1500 करोड़ रुपए खर्च किए। एनडीए सरकार की विदेश यात्राओं का हिसाब लगाएं तो यह सिर्फ (2014-15 और 2016-17) में 1140 करोड़ रुपए हो जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी अगले वित्त वर्ष में विदेश यात्राओं पर 54 प्रतिशत तक कम करना चाहते हैं। एनडीए सरकार का जो ट्रेवल एक्सपेंडिचर सामने आया है, उसमें पीएम के अलावा सभी मंत्रियों, एक्स पीएम, दूसरे वीवीआईपी, प्रेसिडेंट और वाइस प्रेसिडेंट की विजिट्स शामिल हैं। मोदी कैबिनेट में 64 मिनिस्टर हैं जबकि यूपीए के दौरान यह फिगर 75 था। 2013-14 से कम्पेयर करें तो मोदी के मंत्रियों को 25 फीसदी सैलरी ज्यादा मिल रही है। अलाउंसेस पर 10.20 करोड़ रुपए हर साल खर्च हो रहे हैं। यह यूपीए सरकार के दौरान किए गए खर्च से 8 प्रतिशत ज्यादा है।
2015 के बाद कैबिनेट सेक्रेटरिएट में 300 लोगों का स्टाफ बढ़ाया गया। 1 मार्च 2015 को यहां टोटल स्टाफ मेंबर 900 थे जो 2016 में 1201 हो गए। हैरानी की बात ये है कि 2008-09 की ग्लोबल मंदी के बाद ये फैसला किया गया था कि सरकारी खर्च घटाए जाएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। फाइनेंस मिनिस्ट्री हर साल नॉन प्लान एक्सपेंडिचर में 10 फीसदी कटौती का प्लान बनाती है। इस प्लान में ब्यूरोक्रेट्स के फस्र्ट क्लास में ट्रेवल करने मंत्रियों के साथ विदेश जाने वाले डेलिगेशन में लोगों को कम करना शामिल है। फाइव स्टार होटलों में कॉन्फ्रेंस करने पर भी रोक लगाई गई है, लेकिन इसका फायदा नहीं हुआ।