प्रयागराज,वैश्विक महामारी कोविड-19 ने केवल लोगों में ही दूरियां ही पैदा नहीं की बल्कि सदियों से तीर्थ नगरी में चली आ रही नागपंचमी पर अखाड़ों में दंगल की प्राचीन परंपरा पर भी फौरी तौर पर विराम लगा दिया।
नाग पंचमी पर्व की बात हो और कुश्ती,दंगल की चर्चा न हो, कुछ अधूरा सा लगता है। कोरोना वायरस के संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए हर बार की तरह इस बार नाग पंचमी पर शहर की पहचान रखने वाले अखाड़ों में कुश्ती और दंगल के आयोजन नहीं हुये। अखाड़ों में मंत्रोच्चार के बीच सिर्फ पूजन किया गया।
नागपंचमी को सिर्फ एक त्यौहार नहीं बल्कि युवाओं में उनके शारीरिक तंदरूस्ती और फाइटिंग स्पिरिट शो करने का मौका भी माना जाता है। इस पर्व पर शहर के अखाड़ों में आयोजित होने वाला दंगल इसका उदाहरण है। वर्षो से ये अखाड़े शहर की गंगा-जमुनी तहजीब की इस अनोखी परम्परा को जिंदा रखे हुए हैं। जहां नागपंचमी के दिन सिर्फ शहर ही नहीं बल्कि आसपास के एरिया से आए पहलवान कुश्ती के दांवपेंच दिखाकर अपनी कला का प्रदर्शन करते रहे हैं।
लोकनाथ व्यायामशाला के मंत्री राम केसरवानी ने बताया कि इस बार दंगल रद्द कर दिया गया है। सिर्फ परंपरा का निर्वाहन करते हुए अखाड़ा से जुड़े कुछ लोग मंदिर में हनुमत लला का पूजन एवं अखाड़ा पूजन किया। वहीं, कल्याणी देवी के ऐतिहासिक अखाड़े में भी सिर्फ अखाड़ा पूजन और हनुमान जी के पूजन तक ही कार्यक्रम हुआ। दारागंज के प्राचीन रघुनाथदास व्यायामशाला में भी पूजन तक ही कार्यक्रम समिति रहा।
उन्होने बताया कि जाने-माने समाजसेवी छुन्नन गुरू ने इसका पुनरूर्द्धार कराया था। यह व्यायामशाला बहुत प्राचीन है। डिस्ट्रिक्ट चैंपियन का ताज हासिल करने वाले भोला पहलवान ने इस अखाड़े को नई पहचान दी थी। पचास साल बीतने के बाद भी अखाड़े का रुतबा उसी तरह से कायम है।