नई दिल्ली, स्पेनिश ट्रेन टैल्गो शनिवार दोपहर 2ः45 बजे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से मुंबई सेंट्रल के लिए फाइनल ट्रायल रन पर रवाना हुई और 11 घंटे 49 मिनट में मुंबई पहुंच गई। टैल्गो का दिल्ली-मुंबई के लिए ये फाइनल ट्रायल था।यह मुंबई में रात 2.34 बजे पहुंची। इस बार टैल्गो को 12 घंटे से कम में पहुंचने का टारगेट रखा गया था। बताया जा रहा है कि ट्रेन ने 150ाउची रफ्तार पकड़ी थी। गौरतलब है कि बरेली से मुरादाबाद और पलवल से मथुरा के बीच ट्रायल रन सफल रहने के बाद टैल्गो ट्रेन को 1 व 5 अगस्त को 130 किलोमीटर प्रति घंटे और 9 अगस्त को 140 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से नई दिल्ली से मुंबई सेंट्रल के बीच चलाया गया था। हालांकि, अगस्त में मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में हुई भारी बारिश व बाढ़ की वजह से ट्रायल रन में यह ट्रेन अपने निर्धारित समय पर मुंबई नहीं पहुंच सकी थी। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि तकनीकी तौर पर ट्रायल सफल रहा था। शनिवार को 150 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से इसका ट्रायल किया गया। ट्रेन में इलेक्ट्रिक इंजन डब्ल्यूएपी-5 लगाया गया है जबकि पांच अगस्त व नौ अगस्त को ट्रायल रन में डीजल इंजन लगाया गया था। गौरतलब है कि भारतीय कोचों में पहियों के बीच कमानी और सामान्य शॉकर होते हैं, जबकि टैल्गो कोच में शॉकर में हाइड्रॉलिक पावर होने के कारण तेज स्पीड में भी न तो झटके लगते हैं, न वाइब्रेशन होता है। डिस्क ब्रेक होने से तुरंत रोकने पर भी ट्रेन बिना झटके के रुक जाती है। दोनों सीटों के बीच लेग स्पेस भारतीय ट्रेनों की तुलना में तीन इंच ज्यादा है। 4 सीटों के बीच में एक एलईडी टीवी लगी है। सुनने के लिए हर सीट पर ईयरफोन प्लग है। हाईस्पीड टैल्गो ट्रेन को किसी कर्व पर दूसरी ट्रेनों की तरह रफ्तार कम करने की जरूरत नहीं होगी। टैल्गो के अधिकारियों का दावा है कि इस ट्रेन में ऊर्जा की काफी कम खपत होगी। इसे लाइट वेट एरोडायनामिक तकनीक पर तैयार किया गया है। प्रत्येक कोच फायर प्रूफ व साउंड प्रूफ है। यह ट्रेन अधिकतम 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है। इस ट्रेन में पैंट्री की जगह एक कोच को डायनिंग कार के तौर पर तैयार किया गया है जिसमें डायनिंग टेबल लगी हैं। यात्रियों को अपनी सीट पर खाना खाने की मजबूरी नहीं होगी। प्रत्येक कोच की छत को खास तरह से तैयार किया गया है। टैल्गो कोचों में मिलेंगी ये सुविधाएं… -भारतीय कोचों में पहियों के बीच कमानी और सामान्य शॉकर होते हैं, जबकि टैल्गो कोच में शॉकर में हाइड्रॉलिक पावर होने के कारण तेज स्पीड में भी न तो झटके लगते हैं, न वाइब्रेशन होता है। -टैल्गो में डिस्क ब्रेक होने से तुरंत रोकने पर भी ट्रेन बिना झटके के रुक जाती है। -टैल्गो में वैक्यूम टॉयलेट हैं, चेयर कार में 36 और एग्जीक्यूटिव में 27 सीटें हैं। -टैल्गो के दोनों सीटों के बीच लेग स्पेस भारतीय ट्रेनों की तुलना में तीन इंच ज्यादा है। -टैग्लो के कोच में 4 सीटों के बीच में एक एलईडी टीवी लगी है। सुनने के लिए हर सीट पर ईयरफोन प्लग भी दिय गए हैं।