कराची, पाकिस्तान में सिंध प्रांत के सहवान कस्बे में स्थित लाल शाहबाज कलंदर की दरगाह के भीतर हुए आतंकी हमले में 70 से अधिक जानें चली गईं और 150 से भी अधिक लोग घायल हो गए. ये दुनिया भर में मशहूर दमादम मस्त कलंदर वाले सूफी बाबा यानी लाल शाहबाज कलंदर की दरगाह है.
हमलावर ‘सुनहरे गेट’ से दरगाह के भीतर दाखिल हुआ और पहले उसने ग्रेनेड फेंका लेकिन वह नहीं फटा. पुलिस के अनुसार यह धमाका सूफी रस्म ‘धमाल’ के दौरान हुआ. विस्फोट के समय दरगाह परिसर के भीतर सैकड़ों की संख्या में जायरीन मौजूद थे. सूत्रों के अनुसार, ‘उसने अफरा-तफरी मचाने के लिए पहले ग्रेनेड फेंका और फिर खुद को उड़ा लिया. अस्पतालों में आपात स्थिति घोषित कर दी गई है और बचाव अभियान शुरू कर दिया गया है.’ सप्ताह में गुरुवार के दिन बड़ी संख्या में लोग दरगाह जाते हैं. शुरुआती रिपोर्ट से पता चलता है कि यह आत्मघाती विस्फोट है. विस्फोट दरगाह में महिलाओं के लिए आरक्षित क्षेत्र में हुआ. बचाव अधिकारियों ने कहा कि पर्याप्त एंबुलेंस नहीं होने की वजह से मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है.
लाल शाहबाज कलंदर सूफी दार्शनिक-शायर थे. माना जाता है कि सूफी कवि अमीर खुसरो ने शाहबाज कलंदर के सम्मान में ‘दमादम मस्त कलंदर’ का गीत लिखा. बाद में बाबा बुल्ले शाह ने इस गीत में कुछ बदलाव किए और इनको ‘झूलेलाल कलंदर’ कहा. सदियों से ये गीत लोगों के जेहन में रचे-बसे हैं. इसी से इस दरगाह की लोकप्रियता का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.