लखनऊ, बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य भाजपा नेताओं के दलितों के साथ सहभोज को राजनीतिक नाटकबाजी करार दिया है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि सभी जानते हैं कि इन सब दिखावटी व बनावटी कामों से ना तो भाजपा का वर्षों पुराना दलित व पिछड़ा वर्ग-विरोधी चाल, चरित्र व चेहरा बदलने वाला है और ना ही इससे खासकर दलित समाज का सही मायने में कुछ कल्याण व उत्थान होने वाला है।
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही दलितों के ऊपर होने वाले हर प्रकार के अन्याय व जुल्म-ज्यादती का ही अन्त होने वाला है।दलितों के मामले में नीयत साफ होती तो न होता सहारनपुर का दंगामायावती ने अपने बयान में कहा कि खासकर दलितों के मामले में प्रदेश सरकार की नीयत व नीति में अगर थोड़ी भी सच्चाई और ईमानदारी होती तो सहारनपुर का जातीय दंगा कभी भी इतना गंभीर रूप धारण नहीं करता और ना ही उनके ऊपर जुल्म-ज्यादती अभी तक भी पक्षपातपूर्ण तरीके से जारी रहती।
उन्होंने कहा कि सहारनपुर जातीय दंगे के मुख्य दोषी लोगों को अभी तक भी गिरफ्तार नहीं करना व दंगा पीड़ितों को अब तक न्याय नहीं दिला पाना इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश सरकार का दलित-विरोधी रवैया पूरे देश में अन्य भाजपा सरकारों की तरह एक जैसा ही जातीय द्वेष व अन्यायपूर्ण है। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि दलित व अन्य पिछड़ा वर्ग समाज सदियों से शोषित-पीड़ित, उपेक्षित, जातीय हिंसा व विद्वेष से पीड़ित समाज है। आज भी इस समाज के करोड़ों लोग सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक पिछड़ेपन के कारण नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
उन्होंने कहा कि इन लोगों को जो संवैधानिक हक और सुविधायें मिलनी चाहिये थीं, वह जातिवादी लोगों के गलत रवैये के कारण सही से कभी भी नहीं मिल पायी हैं जबकि सरकारों की जिम्मेदारी बनती है कि उनके साथ न्याय करें।बसपा सरकार में बनाये स्मारक उपेक्षा का शिकारमायावती ने कहा कि यही कारण है कि हमेशा की तरह उपेक्षित रहे दलित व अन्य पिछड़ा वर्ग में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों के सम्मान में जो विभिन्न भव्य स्थल, स्मारक व पार्क आदि बनाये गये हैं, वह भी सरकारी उपेक्षा का शिकार हैं तथा उनका रख-रखाव सही से नहीं हो पा रहा है जिसके सम्बंध में बसपा द्वारा बार-बार सरकार का ध्यान भी आकर्षित कराया गया है।