नयी दिल्ली, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि खान-पान की गड़बड़ी, बदलती हुई जीवनशैली, प्रदूषण आदि के कारण नये-नये रोग पैदा हो रहे हैं, साथ ही हृदय रोग, रक्त चाप, मधुमेह, कैंसर, गठिया जैसे रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में दुनिया भारत से वैकल्पिक चिकित्सा के तरीकों की उम्मीद लगा रहा है जिसमें आयुर्वेद एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
आयुर्वेद के क्षेत्र में योगदान के लिए पंडित रामनारायण वैद्य पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार ने पिछले कुछ वर्षों से आयुर्वेद के साथ-साथ चिकित्सा की अन्य प्रणालियों जैसे यूनानी, सिद्धा, प्राकृतिक चिकित्सा और होम्योपैथी को बढ़ावा देने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। भारत का प्रथम अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान हाल ही में दिल्ली में, स्थापित किया गया है।
उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान, आयुष मंत्रालय ने देश में 66 नए आयुष अस्पताल स्थापित करने के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता दी है । इन अस्पतालों का निर्माण एवं गठन कार्य विभिन्न स्तरों पर चल रहा है। इसके अतिरिक्त आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार करने के लिए गत दो वर्षों से ‘धन्वंतरि जयंती’ को ‘राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है।
कोविंद ने कहा कि आयुर्वेद और योग, मन और शरीर के बीच के अटूट संबंध पर आधारित हैं। स्वस्थ शरीर के बगैर, स्वस्थ मन या स्वस्थ मन के बगैर स्वस्थ शरीर की कल्पना मुश्किल है। हमें भावी पीढ़ियों को, व्यक्तित्व के दोनों पहलुओं, यानि मानसिक और शारीरिक, दोनों पर ध्यान देने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि दुनिया के अन्य देशों में भी यह मान्यता बढ़ रही है कि स्वस्थ होने के लिए मन और शरीर दोनों का ही स्वस्थ होना आवश्यक है। हमारे बातचीत में भी ‘तबियत खराब होना’ और ‘मन ख़राब होना’ अलग-अलग भाव को दर्शाता है। अपने देश में मन और शरीर की अलग-अलग अवस्थाएं बताई गई हैं। मन और शरीर का संबंध जब संतुलित होता है तभी मनुष्य अपने आध्यात्मिक स्वरूप को जान सकता है और उसका विकास कर सकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आयुर्वेद वर्तमान में व्याप्त रोगों की रोकथाम का, उपचार का और उनके प्रबंधन का एक सशक्त माध्यम बने, यह आप सबकी जिम्मेदारी है । खान-पान की गड़बड़ी, बदलती हुई जीवनशैली, प्रदूषण आदि के कारण नये-नये रोग पैदा हो रहे हैं। हृदय रोग, रक्तचाप, मधुमेह, कैंसर, गठिया जैसे रोग तेजी से बढ़ रहे हैं । दुनियां भारत से वैकल्पिक चिकित्सा के तरीकों की उम्मीद लगा रहा है। ऐसे में आयुर्वेद एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
उन्होंने कहा कि आज विश्व भौतिकतावाद की तरफ बढ़ रहा है। हमारे जीवन में तनाव है,स्पर्धा है, भाग-दौड़ है। ऐसे में शायद आयुर्वेद लोगों को उनके आध्यात्मिक स्वरूप से अवगत करा सकता है और इन सभी समस्याओं से राहत भी दिला सकता है।