नई दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से दूतावासों तथा उच्चायोगों को सूचित करने को कहा है कि वे अपने नागरिकों से कहें कि भारत आने पर वे स्थानीय कानूनों का खयाल रखें। यह निर्देश ऐसे मामलों में बढ़ोतरी के मद्देनजर आया है जिनमें आईजीआई हवाईअड्डे पर बड़ी संख्या में विदेशियों के बैग में कारतूस मिले। न्यायमूर्ति आरके गौबा ने दो विदेशियों के खिलाफ शस्त्र अधिनियम के तहत दर्ज प्राथमिकी रद्द करते हुए विदेश मंत्रालय को यह निर्देश दिया। इसमें से एक व्यक्ति ब्रिटेन का नागरिक था और दूसरा केन्या का।
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भारत से लौटते वक्त उनके लगेज से कारतूस मिले थे। अदालत ने 29 मई के आदेश में कहा, ऐसे मामलों के बढ़ने के मद्देनजर यह बेहतर होगा कि विदेश मंत्रालय भारत स्थित सभी दूतावासों, वाणिज्य दूतावासों, उच्चायोगों को संदेश भेजे, जिसमें बताए कि इस देश में आने वाले विदेशी नागरिक स्थानीय कानूनों का खयाल रखें ताकि अपेक्षानुसार स्थानीय कानूनों का ध्यान रखा जा सके। अदालत ने 29 मई को दिए गए अपने आदेश में कहा कि खासकर शस्त्र अधिनियम जैसे कानूनों का ध्यान रखा जाए ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो।
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ब्रिटिश महिला जनवरी में परमार्थ कार्य के लिए वैध वीजा पर भारत आई थी और 18 अप्रैल को लंदन लौट रही थी तभी एक्सरे मशीन में जांच में उसके सामान में कारतूस मिला। प्राथमिकी रद्द करने की मांग करते हुए उसने याचिका में दावा किया था कि उसे अपने सामान में कारतूस होने की कोई जानकारी नहीं थी और यह संभवतः अनजाने में उसके बैग में आ गया जब उसके बैग का इस्तेमाल भारत आने से पहले ऑस्ट्रेलिया दौरे के समय उसके कुछ दोस्तों ने किया।
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इस तरह पत्नी के इलाज के लिए भारत आए केन्या के एक नागरिक के बैग में भी 10 मार्च को स्वदेश लौटते समय कारतूस मिला था। उसने भी इससे अनभिग्यता जताई थी। अदालत ने कहा कि प्राथमिकी में जो कथन है उसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जो इस बात का थोड़ा भी संकेत देते हों कि कारतूस जानबूझ कर रखे गए और याचिकाकर्ताओं का यह कहना कि कारतूस उनके बैगेज में भारत आते वक्त ही संभवतः रह गए हों, इसकी पूरी पूरी संभावना है और इससे इनकार नहीं किया जा सकता।
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अदालत ने सरकारी वकील की इस बात पर भी गौर किया कि दोनों मामलों में जांच में ऐसा कोई सबूत सामने नहीं आया है जिससे पता चलता हो कि याचिकाकर्ताओं को अपने बैग में रखे कारतूस के बारे में जानकारी थी।
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