कोलकाता, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने नारद स्टिंग मामले में सीबीआई को आज प्रारंभिक जांच के आदेश दिए। इसमें तृणमूल कांग्रेस के कई नेता कथित तौर पर घूस लेते नजर आए थे। अदालत के इस फैसले से नाखुश दिख रहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि हम नारद स्टिंग मामले की प्रारंभिक जांच सीबीआई से कराने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे।
उन्होंने कहा कि यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण हैं कि भाजपा के राज्य अध्यक्ष ने भविष्यवाणी की थी कि सीबीआई जांच के आदेश दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि ईवीएम में छेडछाड़ संबंधी आरोपों की उचित जांच होनी चाहिए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश निशिता म्हात्रे और न्यायमूर्ति टी चक्रवर्ती की खंडपीठ ने सीबीआई को 24 घंटे के भीतर स्टिंग ऑपरेशन से संबंधित सभी सामग्री और उपकरण अपने कब्जे में लेने और 72 घंटे के भीतर प्रारंभिक जांच को निष्कर्ष पर पहुंचाने के निर्देश दिए। अदालत ने कहा कि प्रारंभिक जांच पूरी होने के बाद जरूरत पड़ने पर सीबीआई प्राथमिकी दर्ज करे और उसके बाद औपचारिक जांच शुरू करे। पश्चिम बंगाल में वर्ष 2016 विधानसभा चुनाव से पहले नारद स्टिंग के टेप विभिन्न समाचार संगठनों को जारी किए गए थे। इसमें कुछ नेता कथित तौर पर घूस लेते दिखाई दिए थे। खंडपीठ ने सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी, चंडीगढ़ की उस रिपोर्ट पर गौर किया जिसमें कहा गया था कि इन टेपों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है। नारद न्यूज के संपादक मैथ्यू सैम्यूल ने अदालत को बताया कि रिकॉर्डिंग आईफोन की मदद से की गई और उसे लैपटॉप में डाला गया जहां से उसे एक पेन ड्राइव में लिया गया। उच्च न्यायालय द्वारा गठित एक समिति ने इन सभी उपकरणों को कब्जे में ले लिया। अदालत ने कहा कि जिन लोगों पर आरोप लगे हैं, वे मंत्री, सांसद और राज्य के अन्य वरिष्ठ नेता हैं, इसलिए यह उचित होगा कि प्रारंभिक जांच की जिम्मेदारी राज्य की किसी एजेंसी की बजाय सीबीआई को सौंपी जाए। अदालत ने कहा कि मामले की स्वतंत्र जांच के लिए सीबीआई सबसे उपयुक्त एजेंसी है। स्टिंग टेपों की विश्वसनीयता के परीक्षण के बाद इनकी स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में तीन याचिकाएं दायर की गईं थीं।