नई दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि देश में निजी कोचिंग संस्थानों को नियमित करने की जरूरत है क्योंकि इनका सफाया नहीं हो सकता। साथ ही, केंद्र से इसके लिए दिशानिर्देश तय करने को लेकर विचार करने को कहा है।
न्यायमूर्ति एके गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित की सदस्यता वाली एक पीठ ने शुक्रवार को कहा कि इंजीनियरिंग जैसे पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षा की जरूरत कुछ ऐसी बात नहीं है, जो खारिज की जा सकती हो और सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि यह स्कूल परीक्षाओं में प्राप्त अंकों को भी भारांश देगी। शिक्षा का अधिकार (आरटीई) दिशानिर्देशों का कथित उल्लंघन करते हुए कुकुरमुत्ते की तरह उग आए गैर नियमित निजी कोचिंग कंपनियों पर माकपा के छात्र मोर्चा स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की एक याचिका पर पीठ सुनवाई कर रही थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने जब राजस्थान स्थित कोचिंग संस्थानों के बारे में अदालत को बताया तो पीठ ने कहा, आप अदालत से क्या चाहते हैं? कोचिंग संस्थान हैं। आप नहीं कह सकते कि उन्हें पूरी तरह से खत्म होना होगा। हां, उनका नियमन करना होगा और सरकार दिशानिर्देश तय करेगी। पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, भारत सरकार ने कहा है कि यह परीक्षा उत्तीर्ण करने को भी भारांश देगी। कई सारे बोर्ड हैं प्रवेश परीक्षा की जरूरत कोई ऐसी चीज नहीं है जिससे हम इनकार कर सकते हों। शीर्ष न्यायालय ने कहा, आप हमसे क्या काम कराना चाहते हैं? सारे कोचिंग संस्थानों को बंद कर दें? यह नहीं हो सकता। याचिकाकर्ता ने जब कोचिंग संस्थानों के वाणिज्यिक पहलुओं का मुद्दा उठाया तब पीठ ने कहा, क्या आप कोचिंग संस्थानों द्वारा अर्जित किए जाने वाले धन के बारे में चिंतित हैं। इसने कहा कि सरकार इस पर गौर करेगी।
केंद्र ने साल 2014 में शीर्ष न्यायालय से कहा था कि यह राज्य सरकारों पर निर्भर है कि वे कुकुरमुत्ते की तरह उग रहे निजी कोचिंग संस्थानों पर लगाम लगाए। इससे पहले शीर्ष न्यायालय ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का भी विचार मांगा था जिसने एक हलफनामा दाखिल करते हुए कहा था कि इसका संवैधानिक कर्तव्य उच्च शिक्षा और शोध संस्थानों में सिर्फ मानकों का समन्वय और निर्धारण करने तक सीमित है। एसएफआई की याचिका में केंद्र और अन्य को देश भर में इंजीनियरिंग एवं मेडिकल के छात्रों को तैयारी कराने वाले गैर मान्यता प्राप्त निजी कोचिंग संस्थानों का कामकाज नियमित करने के लिए निर्देश देने की भी मांग की गई है। जनहित याचिका में दलील दी गई है कि ये अनियमित कोचिंग संस्थान सीबीएसई के नियमों और आरटीई दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए संचालित हो रहे हैं।