निजी जासूसी- अब बढ़ता हुआ कारोबार, 50 हजार नये जासूसों की जरूरत..
October 13, 2017
नयी दिल्ली, वर्ष 2020 तक देश में निजी जासूसी कंपनियों का कारोबार बढ़कर 1700 करोड़ रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है। आने वाले वर्षाें में कम से कम 50 हजार नये जासूसों की जरूरत होगी। यह जानकारी वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ डिटेक्टिव्स की ओर से शुरू तीन-दिवसीय 92 वें वार्षिक सम्मेलन के दौरान वक्ताओं ने दी.इसमें 50 देशों के करीब 150 से अधिक जासूस शिकरत कर रहे हैं।
वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ डिटेक्टिव्स की ओर से शुरू तीन-दिवसीय 92 वें वार्षिक सम्मेलन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि भारत में निजी जासूसी कंपनियों के कारोबार में सलाना 30 फीसदी की बढोतरी हो रही है और वर्ष 2020 तक इसके बढ़कर 1700 करोड़ रुपये तक पहुंच जाने का अनुमान है। आने वाले समय में यह कारोबार 50,000 करोड़ रुपये तक बढ़ सकता है। अभी यह बाजार करीब 600 करोड़ रुपये का है।
वित्तीय धोखाधड़ी की घटनाओं में वृद्धि और कंपनियों के साथ ही व्यक्तिगत स्तर पर लोगों के बारे में जानकारी हासिल करने की मांग बढ़ने से देश में निजी जासूसी कंपनियों का कारोबार बढ़ने का अनुमान है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष कुंवर विक्रम सिंह ने कहा कि विलय और अधिग्रहण गतिविधियों में तेजी आने के साथ ही कंपनियों के मध्यम एवं उच्च पदों पर कार्यरत कर्मचारियों के बारे में जांच पड़ताल में भी तेजी आयी है। इसके साथ ही वैवाहिक वेबसाइटों के जरिये शादी-विवाह के प्रस्तावों में भी लोग निजी जासूसी एजेंसियों की मदद लेने लगे हैं, जिससे इसके कारोबार में तेजी आयी है और आने वाले वर्षाें में कम से कम 50 हजार नये जासूसों की जरूरत होगी।
कुंवर विक्रम सिंह ने कहा कि कारोबार बढ़ने के साथ ही निजी जासूसी जैसे कार्यों के लिए भी प्रमाणित व्यक्तियों की जरूरत होगी और इसी के मद्देनजर सरकार संसद में एक कानून लेकर आयी है, ताकि इस क्षेत्र को प्रमाणित व्यक्ति मिल सकें।
वर्ष 1984 के बाद यह पहली बार है जब इस एसोसिएशन की बैठक राजधानी दिल्ली में हो रही है। इसमें 50 देशों के करीब 150 से अधिक जासूस शिकरत कर रहे हैं। इस तीन-दिवसीय सम्मेलन में काला धन से लेकर भ्रष्टाचार, कंपनियों में होने वाली अनैतिक सूचना लीक और साइबर अपराध सहित कई महत्वपूर्ण सामयिक मसलों पर चर्चा की जानी है।
संगोष्ठी के बाद यहां जुटने वाले सभी वैश्विक जासूस एक सामान्य कार्यक्रम सूची बनाएंगे, जिसके आधार पर चिह्नित बिंदुओं पर यह संगठन आगे बढ़ेगा। इस कार्यक्रम सूची को लेकर संगठन के प्रतिनिधि केंद्रीय मंत्रियों और वरिष्ठ नौकरशाहों से भी मिलेंगे और उन्हें काला धन सहित अन्य मसलों पर अपनी मदद का वादा सरकार को दे सकते हैं।