अलीगढ़, टप्पल कांड पर विधानसभा में पेश निमेष आयोग की जांच रिपोर्ट को किसानों ने खारिज कर दिया है। आज किसान नेता मनवीर तेवतिया की अगुवाई में जिकरपुर में किसान पंचायत में पांच जजों की बेंच से प्रकरण की जांच कराने की मांग की गई। यह भी जोड़ा कि कम से कम दो जज कार्यरत होने चाहिये। पंचायत में शर्त रखी गई कि जांच कमेटी में कोई न्यायिक अधिकारी दलित नहीं होना चाहिए क्योंकि बसपा सरकार व तत्कालीन दलित अफसरों को कठघरे में खड़ा करने का वो साहस नहीं रख पाएंगे।
तेवतिया ने बताया कि शुक्रवार को 50 किसानों के साथ वे मंत्री राजेंद्र चौधरी से लखनऊ में मिलेंगे। मुख्यमंत्री से भी वक्त लेंगे। उन्हें बताएंगे कि तत्कालीन सरकार के इशारे पर अफसरों ने कितने जुल्म ढाए थे। भाजपा नेत्री शशि सिंह ने कल डीएम बलकार सिंह से मिलकर टप्पल में किसानों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने की मांग की। कहा कि आयोग की रिपोर्ट गलत है। वहीं रालोद जिलाध्यक्ष चौ. कल्यान सिंह ने कहा कि शासन-प्रशासन की मिलीभगत से निमेष आयोग की झूठी रिपोर्ट बनी है। फायरिंग में चार किसान शहीद हुए थे और अब किसानों को ही दोषी बताया जा रहा है।
टप्पल कांड:- यमुना एक्सप्रेस-वे के किनारे जेपी समूह को टाउनशिप बसाने के लिए दी जा रही जमीन के मुआवजे को नोएडा बराबर (800 रुपये प्रति वर्गमीटर) करने की मांग को लेकर किसान धरनारत थे। धरना खत्म होते ही किसान नेता रामबाबू कटेलिया को पुलिस ने 14 अगस्त 2010 की शाम उठा लिया। यहीं से हिंसक टकराव शुरू हुआ, जो कई दिन चला। पीएसी के जवान समेत चार लोगों की मौत भी हुई। कई गोली लगने से घायल हुए। बैकफुट पर आई तत्कालीन माया सरकार ने किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने, 436 रुपये प्रति वर्गमीटर से बढ़ाकर 570 रुपये मुआवजा देने और जांच के लिए एक सदस्यीय निमेष आयोग गठित किया था। आयोग को छह महीने में जांच रिपोर्ट देनी थी, लेकिन पांच साल से भी ज्यादा समय लग गया। आयोग की रिपोर्ट से न अनसुलझे सवालों के हल निकले, न ही इंसाफ हुआ।