रोहित की मां वी. राधिका ने हैदराबाद में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दिल्ली में बलात्कार के बाद जब निर्भया की मौत हुई, तो देश ने उनकी जाति क्यों नहीं पूछी. जाति की बात रोहित के मामले में ही क्यों उठी. रोहित की मां ने हैदराबाद में एक संवाददाता सम्मेलन में अपनी बात एक सवाल के साथ ख़त्म की. लेकिन रोहित की मां वी. राधिका के इस आखिरी सवाल ने हमारी व्यवस्था की जातीय सोच की घटिया मानसिकता को उजागर कर दिया है। हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में ख़ुदकुशी करने वाले छात्र रोहित वेमुला दलित थे या नहीं, इस विवाद पर संवाददाता सम्मेलन में उनके परिवार ने आगे आकर विराम लगाने की कोशिश की है.
रोहित की मां वी. राधिका ने हैदराबाद में एक संवाददाता सम्मेलन में बयान जारी करके कहा कि रोहित के पिता वेदारा समुदाय के थे जिसे तेलंगाना में पिछड़ी जाति का दर्जा हासिल है.उन्होंने कहा, ”लेकिन अपने आख़िरी बच्चे को जन्म देने के बाद मैं निजी कारणों से अपने पति से अलग हो गई. तीनों बच्चों को मैंने अपने साथ रखा. उसके बाद मैं अनुसूचित जाति (माला) इलाक़े में रहने लगी क्योंकि मैं जन्म से ही माला समुदाय की हूँ.”
रोहित की मां ने बताया कि वह पांच साल की उम्र से ही वेदारा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले परिवार में पली-बढ़ीं और उनका विवाह भी वेदारा समुदाय के व्यक्ति के साथ हुआ.राधिका का कहना है कि उन्होंने और उनके बच्चों ने ‘अनुसूचित जाति समुदाय की सभी परंपराओं और रीति-रिवाज़ों का पालन किया.’ रोहित के परिवार ने मुआवज़ा लेने से भी इंकार कर दिया है.रोहित की मां राधिका की बहन नीलिमा ने कहा, ”आठ लाख रूपए तो क्या, आठ करोड़ रूपए भी देंगे तो भी हमें हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से नहीं चाहिए.”विश्वविद्यालय ने एक दिन पहले ही रोहित के परिवार को आठ लाख रूपए अनुग्रह राशि के तौर पर देने की घोषणा की थी.
आत्महत्या से दो हफ़्ते पहले विश्वविद्यालय ने उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक नेता के साथ कथित मारपीट की वजह से निलंबित कर दिया था.रोहित ने इस साल 17 जनवरी को आत्महत्या कर ली थी. रोहित की ख़ुदकुशी के बाद काफी विरोध-प्रदर्शन हुए हैं। रोहित की मौत के बाद मामले ने तूल पकड़ा और बीते गुरुवार को विश्वविद्यालय प्रशासन ने रोहित के साथ निलंबित किए गए चार अन्य छात्रों का निलंबन वापस ले लिया था. रोहित दलित थे या नहीं, यह सवाल उनकी मौत के बाद तब और अहम हो गया, जब उनके साथियों ने इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण क़ानून का उल्लंघन हुआ है.रोहित की ख़ुदकुशी के मामले में उनके साथियों ने विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर अप्पा राव, केंद्रीय मंत्री बंडारु दत्तात्रेय और अन्य के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराया है. सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में अपने एक फ़ैसले में कहा था कि माता या पिता में से कोई एक भी दलित है तो उनका बच्चा भी दलित माना जाएगा.