नई दिल्ली, रिजर्व बैंक की नोट छापने वाली अनुषंगी कंपनी ने सरकार द्वारा 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा से पहले छापे गए 2,000 और 500 के नोटों का ब्योरा देने से इनकार किया है और कहा है कि ऐसे खुलासे से सरकार का हित प्रभावित हो सकता है।
रिजर्व बैंक से सूचना के अधिकार आरटीआई के तहत मांगी जानकारी के जवाब में उसकी अनुषंगी ने आरटीआई कानून की धारा 81ए का हवाला देते हुए कहा कि इसका खुलासा नहीं किया जा सकता है।
आरबीआई से पूछा गया था कि केंद्रीय बैंक ने सरकार की नोटबंदी की घोषणा से पहले क्या तैयारियां की थीं। रिजर्व बैंक ने इस सवाल को भारतीय रिजर्व बैंक नोट प्राइवेट लि., बेंगलुर को भेज दिया था, जो केंद्रीय बैंक की अनुषंगी है और नोट छापने का काम करती है। इस अनुषंगी की स्थापना 21 साल पहले की गई थी, जिससे रिजर्व बैंक की नोट छपाई क्षमता बढ़ाई जा सके और देश में बैंक नोटों की मांग और आपूर्ति के अंतर को दूर किया जा सके। कंपनी ने कहा कि आरटीआई कानून के तहत देश की अखंडता, सुरक्षा, कूटनीति, वैज्ञानिक या आर्थिक हित के मद्देनजर कुछ सूचनाओं को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। हालांकि उसने अपने इस फैसले के पीछे कोई वजह नहीं बताई है कि 8 नवंबर से पहले छापी गई करेंसी के आंकड़े का खुलासा आरटीआई कानून की उपरोक्त धारा के तहत कैसे आता है।
खास बात यह है कि रिजर्व बैंक ने अलग से एक जवाब में कहा था कि 8 नवंबर को 247.3 करोड़ 2,000 के नोट थे जो मूल्य के हिसाब से 4.94 लाख करोड़ रपये बैठते हैं। रिजर्व बैंक देश में करेंसी की स्थिति के बारे में कोई सूचना नहीं दे रहा है और न ही नोटबंदी को लेकर तैयारियों के बारे में कुछ बता रहा है। केंद्रीय बैंक इसके लिए किसी न किसी तरह की छूट का हवाला दे रहा है। इसके अलावा मौद्रिक नीति नियामक ने अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर को 86 प्रतिशत करेंसी को चलन से बाहर करने की वजह बताने से भी इनकार किया है। केंद्रीय बैंक ने यह भी नहीं बताया है कि इस बारे में मुख्य आर्थिक सलाहकार या वित्त मंत्री के साथ विचार विमर्श किया गया था या नहीं। इसके अलावा रिजर्व बैंक ने यह भी बताने से इनकार किया है कि करेंसी नोटों की कमी को कब तक पूरा किया जा सकेगा।