नागपुर, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी साल का सबसे बड़ा घोटाला है इसलिए इसकी जांच की जानी चाहिए। नागपुर में एक प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुये कहा कि सरकार के इस अभियान का हाल वही हुआ कि खोदा पहाड़-निकली चुहिया। इस फैसले ने गरीब तबके की कमर तोड़ दी है।
नोटबंदी पर केंद्र सरकार को घेरते हुये पी चिदंबरम ने कहा कि ‘मैं 2000 का नोट नहीं प्राप्त कर सकता तो फिर कैसे देशभर में छापेमारी में लोगों के पास से 2000 के नए नोटों में करोड़ों रुपये मिल रहे हैं। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार किस गणना के आधार पर कह रही है कि एक व्यक्ति बैंक से 24 हजार रुपये निकाल सकता है, जबकि बैंको के पास देने के लिए पर्याप्त नकदी नहीं है। उन्होंने कहा कि जब सारे बैंक कह रहे हैं कि उनके पास कैश नहीं है तो फिर सरकार कैसे कह सकती है कि वहां कैश है। इसलिए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने इसे कुप्रबंधन का स्मारक कहा था और यह फैसला बिल्कुल वैसा ही है।’
किसानों के मुद्दे पर चिदंबरम ने कहा कि ‘क्यों जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों को इस पूरी कवायद से बाहर रखा हुआ है। ऐसा करके किसानों को दंडित किया जा रहा है। आज किसान इसलिए पीड़ित है क्योंकि उनके पास बीज खरीदने और मजदूरों को देने के लिए पैसे नहीं है।’ चिदंबरम ने कहा कि भारत में 45 करोड़ लोग दैनिक मजदूरी पर निर्भर होते हैं। इस फैसले से उन्हें नुकसान हो रहा है, उन्हें कौन मुआवजा देगा?
विश्व में इस फैसले को कोई भी अच्छा नहीं कह रहा है। हर बड़ा अखबार और अर्थशास्री इस फैसले की निंदा कर रहा है। सरकार कालेधन से ध्यान हटाकर कैशलेस अर्थव्यवस्था को मुद्दा बना रही है। किस देश में कैशलेस अर्थव्यवस्था है? अमेरिका? सिंगापुर? चिदंबरम ने कहा कि इस कैशलेश अर्थव्यवस्था के लिए देश में बिजली कहां है? मशीनें कहां हैं ? उन्होंने कहा कि ‘सरकार के इस फैसले से मैं प्रभावित हुआ हूं क्योंकि मैं बैंक से 24000 रुपये प्राप्त करने में सक्षम नहीं हूं इसलिए मै शिकायत कर रहा हूं।’