चंडीगढ़, कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दिलाने के बाद अमरिंदर सिंह ने आज पंजाब के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 75 वर्षीय अमरिंदर को राज्य के 26वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। उनके साथ नवजोत सिंह सिद्धू समेत नौ मंत्रियों ने भी शपथ ली। इस प्रकार की अटकलें लगाई जा रही थीं कि क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू को उप मुख्यमंत्री का पदभार सौंपा जाएगा लेकिन आज शपथ ग्रहण करने वाले नौ मंत्रियों की सूची में वह तीसरे क्रम पर थे। इस समारोह में दो राज्य मंत्रियों को शपथ ग्रहण कराई। दोनों राज्य मंत्री महिलाएं हैं। इस समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई हस्तियों ने शिरकत की।
समारोह राजभवन में आयोजित किया गया और राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने शपथ ग्रहण कराई। सिद्धू के अलावा ब्रह्म महिंद्रा, पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के भतीजे मनप्रीत सिंह बादल, साधु सिंह धरमसोत, तृप्त राजेंद्र सिंह बाजवा, राणा गुरजीत सिंह सोढी और चरणजीत सिंह चन्नी ने शपथ ग्रहण की। दो महिला विधायकों अरुणा चौधरी और रजिया सुल्ताना को राज्य मंत्रियों (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में शपथ ग्रहण कराई गई। कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि राज्य कैबिनेट का विस्तार बाद में किया जाएगा। राज्य में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 18 मंत्री हो सकते हैं। कांग्रेस के विधानसभा में 77 विधायक हैं। अमरिंदर ने घोषणा की थी कि राज्य में वित्तीय संकट को देखते हुए शपथ ग्रहण समारोह सादा रहेगा। अमरिंदर दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। पार्टी उपाध्यक्ष के अलावा आनंद शर्मा, भूपिंदर सिंह हुड्डा, अजय माकन, सचिन पायलट, प्रताप सिंह बाजवा समेत कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता इस समारोह में शामिल हुए। अमरिंदर की पत्नी एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री परनीत कौर और उनके परिजन भी इस अवसर पर मौजूद थे। कांग्रेस ने अमरिंदर के नेतृत्व में 117 सदस्यीय विधान सभा में से 77 सीटों पर जीत हासिल की। शिअद-भाजपा गठबंधन मात्र 18 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रहा। आम आदमी पार्टी को 20 सीटों पर जीत मिली और दो सीटें उसकी सहयोगी लोक इंसाफ पार्टी के खाते में गईं। कैप्टन अमरिंदर की कैबिनेट में शामिल चेहरे… ब्रह्मा मोहिंद्रा ने ली मंत्रिपद की शपथ। ब्रह्म मोहिंद्रा पटियाला देहात सीट से विधायक हैं। मोहिंद्रा पुराने कांग्रेसी हैं और पार्टी का हिंदू चेहरा हैं।
नवजोत सिंह सिद्धू ने भी मंत्रीपद की शपथ ली है। चुनाव से ठीक पहले सिद्धू कांग्रेस में आए थे। सिद्धू इससे पहले बीजेपी में थे और अमृतसर से सांसद थे, लेकिन अकाली दल से मतभेद की वजह से उन्होंने चुनाव से दो महीने पहले बीजेपी छोड़ दी और चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में आ गए। पहली बार सिद्धू ने अमृतसर ईस्ट से विधानसभा का चुनाव लड़ा और बड़ी जीत दर्ज की। मनप्रीत सिंह बादल ने भी कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली है। मनप्रीत बादल प्रकाश सिंह बादल के भतीजे हैं। सुखबीर बादल से मतभेद की वजह से अकाली दल छोड़कर मनप्रीत ने पहले अपनी पार्टी बनाई फिर कांग्रेस में शामिल हो गए। चुनाव से पहले कैप्टन अमरिंदर ने मनप्रीत को वित्त मंत्री बनाने की बात कही थी। अकाली दल की सरकार में भी मनप्रीत वित्त मंत्री रह चुके हैं। इस बार मनप्रीत बठिंडा से चुनाव जीते हैं वो कुल पांच बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। साधु सिंह धर्मसोत ने भी मंत्री पद की शपथ ली है। साधु सिंह धर्मसोत पार्टी के दलित चेहरा हैं और नाभा से विधायक हैं, जब दस साल तक कांग्रेस पंजाब की सत्ता से बाहर रही तब भी साधु सिंह धर्मसोत चुनाव जीतते रहे। तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने भी मंत्री पद की शपथ ली है। बाजवा फतेहगढ़ चूड़ियां इलाके से चुनाव जीते हैं। इन्होंने अकाली दल के बड़े नेता निर्मल सिंह कहलों को लगातार दूसरी बार चुनाव में हराया है। बाजवा पंजाब के माझा इलाके से आते हैं। राणा गुरजीत सिंह ने भी मंत्री पद की शपथ ले ली है। राणा गुरजीत कपूरथला से कांग्रेस के विधायक हैं और अमरिंदर सिंह के करीबी माने जाते हैं। राणा गुरजीत पंजाब के बड़े कारोबारी हैं। चरणजीत सिंह चन्नी ने भी कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली है। चन्नी पिछली बार विधानसभा में विपक्ष के नेता थे, पार्टी के दलित चेहरा हैं और चमकौर साहिब से विधायक चुने गए हैं। अरुणा चौधरी ने भी आज मंत्री पद की शपथ ली है। अरुणा पंजाब के माझा इलाके की दीनानगर सीट से विधायक हैं। महिला कोटे में इन्हें राज्य मंत्री का पद दिया जा रहा है। रजिया सुल्ताना को भी अमरिंदर कैबिनेट में जगह मिली है। रजिया पार्टी की मुस्लिम चेहरा हैं। पिछली बार चुनाव हार गई थीं लेकिन इस बार मलेरकोटला से विधायक बनी हैं। सूत्रों की माने तो राणा कंवर पाल सिंह को विधानसभा का स्पीकर बनाया जा सकता है। राणा कंवर पाल सिंह आनंदपुर साहिब से चुनाव जीते हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में कैप्टन के आगे किसी की नहीं चली। सत्ता विरोधी लहर में अकाली-बीजेपी गठबंधन की बुरी तरह हार हुई और पहली बार पंजाब का चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी भी कोई कमाल नहीं कर पाई। सत्ता विरोधी लहर पर सवार होकर कांग्रेस दस साल के अंतराल के बाद पंजाब में सत्ता में आयी है। उसने विधानसभा की 117 सीटों में से 77 सीटों पर कब्जा जमाया। वहीं सत्तारूढ़ शिअद-बीजेपी को 18 सीटें मिली। इसके अलावा पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरी आप ने 20 सीटें जीतीं जबकि दो सीटें नयी पार्टी और आप की सहयोगी लोक इंसाफ पार्टी को मिली।विधानसभा चुनाव में कैप्टन के चेहरे पर ही कांग्रेस ने चुनाव लड़ा था।