मायावती ने गुरुवार को यहां पार्टी कार्यालय में पार्टी पदाधिकारियों व ज़िला अध्यक्षों की बैठक में कैडर आधारित ठोस रणनीति पर विचार-विमर्श किया और पार्टी की आर्थिक मजबूती के लिए जरूरी दिशा-निर्देश दिये। बैठक में बसपा सुप्रीमो के दोनो भतीजे आकाश आनंद और ईशान मौजूदगी चर्चा का विषय बनी रही।
उन्होने कहा कि प्राप्त फीडबैक के अनुसार यूपी के ज़िलों में सरकारी तंत्र की जुल्म-ज्यादती से लोग त्रस्त है, जिसके प्रति राज्य सरकार को गंभीर व संवेदनशील होना बहुत ज़रूरी है। साथ ही, विरोधियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई से लोगों का यह सवाल स्वाभाविक है कि यूपी में यह कैसा कानून का राज है कि सत्ताधारी लोगों के लिए उनके हर जुर्म की अनदेखी कर दी जाती है। ऐसे में यूपी के ज़िलों में सरकारी तंत्र की द्वेषपूर्ण एवं मनमानी कार्रवाई के विरुद्ध राज्य सरकार को अपना संविधान धर्म निभाने की सलाह दी जाती है।
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी केवल अपने कार्यकर्ताओं से ही विभिन्न रूपों में आर्थिक मदद लेकर ही अपनी पार्टी की गतिविधियों को चलाती है जबकि कांग्रेस, भाजपा व अन्य विरोधी पार्टियों की तरह बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठों आदि से आर्थिक मदद लेकर अपनी पार्टी की गतिविधियों को चलाती हैं।
उन्होने कहा कि यूपी के जिलों से पार्टी की फीडबैक के अनुसार प्रदेश में कानून-व्यवस्था के नाम पर जिस प्रकार से जिलों में दमनकारी नीति अपनाकर अधिकतर यहाँ गरीबों, मजलूमों, बेसहारा व मेहनतकश लोगों को अंधाधुंध गिरफ्तार करके जेल में कैद किया जा रहा है वह लोगों को यहाँ पुलिस राज जैसा चिन्तनीय लगता है, जिसके प्रति राज्य सरकार को न्यायालय की तरह गंभीर व संवेदनशील होकर संविधान धर्म की ज़िम्मेदारी जरूर निभाना चाहिए।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि विरोधियों के खिलाफ खासकर पुलिस कार्रवाई से लोगों का यह सवाल स्वाभाविक है कि यूपी में यह कैसा कानून का राज है। सत्ताधारी लोगों के लिए उनके हर जुर्म की अनदेखी क्यों है। क्या इससे कानून-व्यवस्था सुधर पाएगी। इतना ही नहीं बल्कि सिविल मुकदमों को भी क्रिमनल केस की तरह कार्रवाई करना भी क्या उचित है। इसका भी राज्य सरकार को जरूर समुचित संज्ञान लेना चाहिए। इसके अलावा, जिलों में प्रशासन व पुलिस का रवैया ज्यादातर मामलों में राजनीतिक, साम्प्रदायिक व जातिवादी द्वेष का होने से यह आम धारणा बन रही है कि यह सब भाजपा की नीति के तहत् वोट की राजनीति के लिए सरकारी मशीनरी व पुलिस का अनुचित इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में कानून का राज का अभाव लोगाें की चिन्ता का विशेष कारण है।
उन्होेने कहा कि पहले कांग्रेस व सपा और अब भाजपा की सरकारों के रवैयों से स्पष्ट है कि बहुजनों में भी खासकर दलित समाज के प्रति इनका नया-नया उभरा प्रेम विशुद्ध छलावा व इनकी चुनावी नाटकबाजी ज्यादा है। श्री शाह से भी अपने बाबा साहेब विरोधी बयान को वापस लेकर पश्चाताप करने की बसपा की मांग बरकरार है।