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पतंजलि योगपीठ में समारोहपूर्वक मनाया गया रक्षाबंधन त्योहार , उपनयन संस्कार कार्यक्रम

देहरादून,  उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित विश्व विख्यात पतंजलि वैलनेस, पतंजलि योगपीठ-2 स्थित योगभवन सभागार में श्रावणी उपाकर्म (रक्षाबंधन त्योहार) पर पतंजलि परिवार की बहनों ने पतंजलि योगपीठ के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी रामदेव महाराज व महामंत्री आचार्य बालकृष्ण महाराज को रक्षासूत्र बांधे। साथ ही पतंजलि के शैक्षणिक संस्थानों- पतंजलि विश्वविद्यालय, पतंजलि गुरुकुलम् व आचार्यकुलम् के नव-प्रवेशित छात्र-छात्राओं का उपनयन संस्कार दीपारम्भ यज्ञ मंत्रेच्चारण के साथ कराया गया।

इस अवसर पर, स्वामी रामदेव महाराज ने कहा कि हमें सनातन के गौरव को अपने हृदय में संजोते हुए स्वर्णिम व परम वैभवशाली भारत गढ़ना है। जैसे हमने चंद्रमा के दक्षिणि ध्रुव पर पहुँचकर कीर्तिमान स्थापित किया, उसी प्रकार हमें शिक्षा, चिकित्सा, कृषि और उद्योग के क्षेत्र में अखण्ड-प्रचण्ड पुरुषार्थ करना है। यज्ञोपवित संस्कार पर छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज पतंजलि में सनातन धर्म की रक्षा के लिए ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, दलित सब जाति, समुदाय व वर्गों के और भाईयों व बहन-बेटियों का एक-साथ यज्ञोपवित संस्कार करवाया गया है जो इस बात का प्रतीक है कि सनातन धर्म में जाति, स्त्री-पुरुष या लिंगभेद के नाम पर किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं है।

कार्यक्रम में, आचार्य बालकृष्ण महाराज ने सम्पूर्ण देशवासियों को रक्षाबंधन की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि हमारा देश पर्व-त्यौहारों का देश है। उन्होंने कहा कि श्रावणी उपाकर्म के रूप में देश में संभवतः पतंजलि पहली संस्था है। जहाँ 1500 से ज्यादा बहन-बेटियों व बेटों का उपनयन संस्कार हो रहा है। आज यहाँ देश के हर धर्म, जाति, मत-पंथ, समुदाय व क्षेत्र के भाई-बहन उपस्थित हैं। यह तथ्य पर्याप्त है कि सनातन वैदिक धर्म का विशुद्ध रूप व उसका मूल स्वरूप पतंजलि योगपीठ में दृष्टिगोचर होता है। पतंजलि हमारी संस्कृति, परम्परा व धर्म के वैज्ञानिक स्वरूप को पुनः स्थापित करने के लिए कृत संकल्पित है। आज हमारे पर्व-त्यौहारों को उनके मूल स्वरूप में मनाने की महति आवश्यकता है।