नई दिल्ली, लोकसभा में आज सभी पत्रकार और गैर पत्रकार समाचार-पत्र कर्मियों के लिए मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशें तत्काल प्रभाव से लागू किए जाने तथा मीडिया संस्थानों में बड़े पैमाने पर पत्रकारों की हो रही छंटनी को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए जाने की मांग उठाई गई।
रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के के एन के प्रेमचंद्रन ने शून्यकाल के दौरान सदन में यह मामला उठाते हुए कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है लेकिन आज उसकी हालत ही खराब है। एक साल होने को आए हैं लेकिन फिर भी कई समाचार पत्र और मीडिया संस्थान मजीठिया आयोग की सिफारिशें लागू करने को तैयार नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि 1955 में बने वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट के तहत पत्रकारों के वेतनमान की हर पांच साल में एक बार समीक्षा करने का प्रावधान किया गया था लेकिन उसे धता बता दिया गया और अब मजीठिया आयोग की सिफारिशें लागू करने से भी मीडिया संस्थान गुरेज कर रहे हैं।
उन्होंने इलेक्ट्रानिक मीडिया में काम कर रहे लोगों का जिक्र करते हुए कहा कि वर्किग जर्नलिस्ट कानून जब बना था तब देश में इलेक्ट्रानिक मीडिया नहीं था, ऐसे में इस क्षेत्र के लोगों को भी इस कानून में दायरे में लाने की व्यवस्था होनी चाहिए। प्रेमचंद्रन ने मीडिया कंपनियों में मनमानी तरीके से पत्रकारों की छंटनी का मामला भी उठाया और कहा कि इसके कारण पत्रकारों के लिए नौकरी की सुरक्षा खत्म होने लगी है। उन्होंने कहा कि वह सरकार से अनुरोध करते हैं कि इस चलन को रोकने के लिए सख्त कानून बनाया जाए और पत्रकारों की नौकरी सुरक्षित की जाए।