लखनऊ, राष्ट्रीय निषाद संघ के सचिव चौधरी लौटन राम निषाद ने कहा कि पिछड़े वर्ग को बहुत पहले शिक्षा, नौकरियों व राजनीति में आरक्षण मिलना चाहिये था। उन्होने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर के कारण पिछड़े वर्ग की जातियां 55 वर्ष पीछे रह गई। डॉ. अंबेडकर अंग्रेजों से मिलकर साजिश नहीं किए होते तो गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 लागू होने के समय ही पिछड़ों को शिक्षा, नौकरियों व राजनीति में आरक्षण मिल गया होता। अंबेडकर ने सछूत शूद्र जातियों या पिछड़ी जातियों के आरक्षण का विरोध किया।
गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1919 के तहत सभी शूद्र जातियों को शिक्षा व नौकरियों में आरक्षण मिल गया था और सछूत व अछूत सभी शूद्र जातियां डिप्रेस्ड क्लास की मानी जाती थी परंतु 1932 में अंबेडकर ने राम चरण लाल मल्लाह एडवोकेट की दलील को नकारते हुए केवल अछूत शुद्र जातियों को ही आरक्षण का हकदार मानने की पहल शुरू किया। 1935 के 55 वर्ष बाद बी.पी. सिंह द्वारा मंडल कमीशन की सिफारिश लागू करने के बाद 1990 में अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों को 27 प्रतिशत आरक्षण मिल पाया। अंबेडकर जब दक्षिण मध्य मुंबई से चुनाव हार गए तो निषाद जाति के डॉ. योगेंद्र नाथ मंडल ने अपनी सीट रिक्त कर खुलना जैसोर (अब बांग्लादेश में) से चुनाव जितवाकर प्रतिनिधि सभा का सदस्य बनवाया और अपनों का समर्थन दिलवाया।
निषाद ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर अनुसूचित जातियों या दलितों का भगवान हो सकते हैं, अन्य पिछड़े वर्ग के नहीं, क्योंकि इन्हीं की साजिश के कारण पिछड़ों को 1935 में आरक्षण के लाभ से व राजनीतिक भागीदारी से वंचित होना पड़ा। उन्होंने कहा कि लोहियावादी बनने वाले मुलायम सिंह यादव ने डॉ. राम मनोहर लोहिया, मधु लिमये जैसे समाजवादियों की सोच व विचारधारा की हत्या कर दी। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव वर्तमान में समाजवादी नहीं तुच्छजातिवादी व परिवारवादी नेता हैं। सपा मुलायम एंड फैमिली की प्रा.लि. पार्टी बनकर रह गई है। उन्होंने कहा कि इस समय मुलायम के दो भाई प्रो. राम गोपाल व शिवपाल तथा पुत्र अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव 2017 के टिकट वितरण के लिए अपने अधिकारों को लेकर लड़ रहे हैं। मुलायम के लिए पिछड़े वर्ग का मतलब सिर्फ यादव रह गया है।