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पिछड़ों ने तालाब से निकाली अर्थी, सवर्णों ने नही दिया रास्ता

dalitजबलपुर, दिल को  झकझोर देने वाली घटना मध्य प्रदेश के जबलपुर में सामने आई है। दबंगों पर जातिगत भेदभाव के चलते एक शव यात्रा निकालने के लिए रास्ता नहीं देने का आरोप है, जिसके बाद मृतक के परिजनों को तालाब के रास्ते शव यात्रा निकालनी पड़ी।

जबलपुर के बम्हनौदा ग्राम पंचायत के अंतर्गत बिहर गांव में श्मशानघाट तक जाने का रास्ता तालाब के मेढ़ से होकर गुजरता है। हाल ही में तालाब का गहरीकरण होने से मेढ़ टूट चुकी है। वहां पर चार फीट पानी भरा हुआ है। वैकल्पिक रास्ता मालगुजार नलिन शर्मा की जमीन से होकर निकलता है।

 गुरुवार सुबह 70 वर्षीय कांतिबाई पटेल का निधन हो गया। सुबह 11 बजे परिजन कांतिबाई पटेल की शवयात्रा लेकर श्मशानघाट के लिए निकले। बारिश होने के चलते शमशान घाट तक जाने वाली कच्ची सड़क डूब गयी थी और वहां तक पहुंचने के लिए सिर्फ दबंगों के खेत से गुजर कर जाना पड़ता। ऐसे में ऊंची जाति से ताल्लुक रखने वाले इन दबंगों ने अर्थी को खेत में से ले जाने देने से साफ़ इनकार कर दिया। जिसके बाद मृतक के परिजनों को तालाब के रास्ते शव यात्रा निकालनी पड़ी। बताया जा रहा है कि दबंग जिस खेत को अपनी जमीन बता रहे हैं वो असल में सरकारी जमीन है और उन्होंने इस पर जबरन कब्जा जमाया हुआ है।
लोगों का आरोप है कि मालगुजार ने अपनी जमीन के रास्ते से शवयात्रा निकलने से रोक दिया। इसकी वजह से शवयात्रा को तालाब के चार फीट पानी से ले जाना पड़ा।

 

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