पुरानी बिल्डिंग ढहाने व नई बनाने की प्रक्रिया में पीआईएल बाधा नहीं : उच्च न्यायालय

लखनऊ, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने स्थानीय कैसरबाग स्थित फैमिली कोर्ट के पुराने मुख्य भवन को ढहाने को इसकी नीलामी की कारवाई को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर आदेश दिया कि पुरानी बिल्डिंग ढहाने व नई बनाने की प्रक्रिया में जारी प्रस्ताव में पीआईएल बाधा नहीं होगी।
इससे पहले हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से पेश अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि नई बिल्डिंग बनने तक पुराने फैमिली कोर्ट भवन के पास फैमिली कोर्ट भवन को चलाने को वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। इस पर, कोर्ट ने याचिका को जुलाई के दूसरे हफ्ते में सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति ए आर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की ग्रीष्मावकाश कालीन खंडपीठ ने यह आदेश सामाजिक कार्यकर्ता गौतम भारती की जनहित याचिका पर दिया। इसमें याची ने लखनऊ के पुराने फैमिली कोर्ट भवन को ढहाने के लिए इसकी नीलामी की प्रशासन द्वारा की जा रही कारवाई को कानून की मंशा के खिलाफ कह कर इस पर रोक लगाने का आग्रह किया है। याची ने पुराने भवन को ढहाने की प्रस्तावित करवाई रद्द करने समेत फैमिली कोर्ट की पुरानी बिल्डिंग को राष्ट्रीय महत्व का संरक्षित स्मारक घोषित करने का भी आग्रह किया है।
कोर्ट के आदेश पर बीती 12 जून को पेश हुईं मंडलायुक्त, लखनऊ को कोर्ट ने संबंधित कानून के तहत लाइसेंस या अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करने को अपनाई गई प्रक्रिया का ब्योरा देते हुए जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। साथ ही केंद्र सरकार के अधिवक्ता को भी मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा था। उधर, बीते बुधवार को मामले की सुनवाई के समय राज्य सरकार के मुख्य स्थाई अधिवक्ता (सी एस सी) शैलेंद्र कुमार सिंह समेत केंद्र व हाईकोर्ट प्रशासन के अधिवक्ता पेश हुए। जबकि, याची के अधिवक्ता पेश नहीं हुए।