नई दिल्ली, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने आज भारी उद्योग मंत्रालय को पुराने वाहनों को हटाने के संबंध में प्रोत्साहन नीति तेजी से तैयार करने और इसका विकल्प चुनने वालों के लिए इससे जुड़े लाभों का प्रचार करने का निर्देश दिया।
अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि इस संबंध में इसके निर्देशों को एक साल से अधिक समय गुजर चुका है, लेकिन आज तक कुछ नहीं किया गया है। पीठ ने कहा, आपने हमारे सामने लंबे-चौड़े वायदे किए कि आप पुराने वाहनों को हटाने के लिए प्रोत्साहन देने जा रहे हैं, लेकिन किया कुछ नहीं। आप हमारे सामने कुछ कहते हैं और अधिकरण से बाहर कदम रखते ही इसे भूल जाते हैं। इसने कहा, भारी उद्योग मंत्रालय ने हमें आश्वासन दिया था कि वह अपने वाहन हटाने वालों को तरीका और प्रोत्साहन उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में है..हम मंत्रालय को इस संबंध में स्पष्ट हिदायत अपनाने का निर्देश देते हैं। हरित अधिकरण ने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकारों को निर्देश दिया कि वे दिल्ली सरकार के साथ बैठक करें जिससे कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रतिबंधित वाहनों को खड़ा करने के लिए पास के क्षेत्रों में भूमि की पहचान की जा सके। सुनवाई के दौरान, भारी उद्योग मंत्रालय की ओर से पेश अधिवक्ता बालेंदु शेखर ने पीठ को सूचित किया कि वह वित्त मंत्रालय के साथ बात कर रहा है तथा वाहन हटाने की नीति की व्यावहारिकता का अध्ययन कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रालय ने वाहन हटाने की नीति पर विचार देने के लिए राज्य सरकारों को भी लिखा है, लेकिन आज तक उसे कोई जवाब नहीं मिला है।
अधिकरण ने राष्ट्रीय परमिट वाले 10 से 15 साल पुराने डीजल वाहनों के दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रवेश पर रोक लगाते हुए इस साल 20 जुलाई को मंत्रालय से कहा था कि वह पुराने वाहनों को हटाने के संबंध में विचार करे और इस तरह की नीति का विकल्प चुनने वाले लोगों को उपलब्ध कराए जाने वाले लाभों का प्रचार-प्रसार करे। इसने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में 10 से 15 साल पुराने डीजल वाहनों का पंजीकरण चरणबद्ध तरीके से रद्द किया जाएगा। इसने यह भी कहा था कि 15 साल पुराने डीजल वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाये और इससे पहले उनका पंजीकरण रद्द किया जाना चाहिए। अधिकरण ने कहा था कि ऐसे वाहनों को दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से बाहर चलने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं मिलेगा। अधिकरण ने कहा था कि केवल 15 साल से कम पुराने गैर पंजीकृत वाहनों को ही दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से बाहर चुनिंदा क्षेत्रों में चलने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र मिलेगा जिसके बारे में राज्य सरकारें फैसला करेंगी जहां वाहनों की संख्या कम है। अधिकरण ने राज्यों से ऐसे क्षेत्रों की पहचान करने को भी कहा था जहां हवा का छितराव ज्यादा है और वाहनों की संख्या कम है। इसने कहा था कि दिल्ली में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) केवल उन क्षेत्रों के लिए प्रमाणपत्र जारी करेंगे जिनकी पहचान राज्यों ने की है। अधिकरण ने वाहनों पर रोक के मुद्दे पर दिल्ली सरकार से भी जवाब मांगा था और राष्ट्रीय राजधानी में निजी कारों की संख्या सीमित करने पर विचार देने को कहा था।
एनजीटी ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से भी कहा था कि वह गैर पंजीकृत वाहनों और जब्त वाहनों को खड़ा करने के लिए दिल्ली परिवहन निगम तथा दिल्ली यातायात पुलिस को जगह उपलब्ध कराए। अधिकरण ने दिल्ली सरकार से कहा था कि वह सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में सुधार तथा मजबूती के लिए तत्काल कदम उठाए और सीएनजी, हाइब्रिड या इलेक्ट्रिक बस उतारे। अधिकरण ने 18 जुलाई को दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वह 10 साल से अधिक पुराने सभी डीजल वाहनों को शहर में चलने से रोकने के लिए उनका पंजीकरण रद्द करे। पीठ ने दिल्ली परिवहन विभाग के आरटीओ को आदेश दिया था कि पंजीकरण रद्द होने के बाद वह इस संबंध में सार्वजनिक नोटिस जारी करेगा तथा दिल्ली यातायात पुलिस को इस तरह के वाहनों की सूची सौंपेगा जो अधिकरण के निर्देशों के अनुरूप उचित कदम उठाएगी। अधिकरण ने कहा था कि दिल्ली सरकार द्वारा शुरू की गई सम-विषम योजना के दौरान भी हवा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार नहीं हुआ और असल में, मानक स्वीकृत सीमाओं से अधिक रहा। एनजीटी ने सात अप्रैल 2015 को व्यवस्था दी थी कि 10 साल से अधिक पुराने सभी डीजल वाहनों को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसने 26 नवंबर 2014 को 15 साल से अधिक पुराने सभी पेट्रोल-डीजल वाहनों के चलने पर रोक लगा दी थी।